Indian Idol 10 winner: गायकी के आगे हारी आंखों की बीमारी, रनरअप बनकर लौटा अंकुश (PICS)

Monday, Dec 24, 2018 - 05:50 PM (IST)

शिमला: संगीत के जूनून ने देवभूमि हिमाचल के अंकुश भारद्वाज को मुंबई पहुंचा दिया और उसने अपनी सुरीली आवाज से शिमला जिला के कोटगढ़ के सेब की महक मुंबई की फिजाओं में बिखेर दी। आंखों की बीमारी भी उसके हौसले को तोड़ नहीं पाई।


सोनी टीवी के इंडियन आइडल 10 में पिछले 7 महीनों से चले कड़े मुकाबले में अंकुश भारद्वाज ने अपनी मधुर आवाज से शानदार प्रदर्शन कर इंडियन आईडल के फर्स्ट रनर अप का खिताब पाया। रविवार को दिल थाम देने वाले ग्रांड फिनाले में अंकुश भारद्वाज ने 5 प्रत्भागियों में दूसरा स्थान प्राप्त कर हिमाचल प्रदेश सहित जिला शिमला व कोटगढ़ का नाम रोशन कर दिया।


फाइनल मुकाबले के लिए प्रदेश भर के साथ ही ऊपरी शिमला के अधिकतर इलाकों में लोगों ने अंकुश भारद्वाज के पक्ष में वोट किए और रात करीब साढ़े 11 बजे तक टी.वी पर कार्यक्रम देखते रहे। हालांकि अंकुश के समर्थकों में इंडियन आइडल का खिताब न जीत पाने का मलाल जरूर है, लेकिन इसमें दूसरा स्थान पाकर प्रदेश का नाम रोशन करने वाले प्रदेश के पहले गायक बनने का सौभागय मिलने से लोगों में खुशी का माहौल भी है।


मुंबई के कई सितारे अंकुश की सुरीली आवाज के कायल हो गए ओडिशन राऊंड से लेकर ग्रांड फिनाले तक के सफर में अंकुश ने एक से बढ़कर एक नए व पुराने गीत गाकर अपनी आवाज का दम दिखाया।

बचपन से ही गाना गाने का शौक

अंकुश आंखों की बीमारी केरोटोकोनस आई डिसऑडर से भी जूझ रहा है, लेकिन फिर भी उसने अपनी गायिकी को नहीं छोड़ा। कोटगढ़ के लोस्टा गांव के रहने वाले अंकुश को बचपन से ही गाना गाने का शौक है। पिता सुरेश भारद्वाज ने हमेशा उसका साथ दिया। एक गुरु की तरह उसे सब कुछ सिखाया, लेकिन मां कमलेश को बेटे का गाना गाना गंवारा नहीं था। उसकी मां सोचती थी कि वह गाना गाकर कभी भी अपना भविष्य नहीं बना पाएगा।

मां को कमरे में बंद कर देने पहुंच गया ऑडिशन

अंकुश ने अपनी मां को एक दिन कमरे में बंद कर बाहर से ताला लगा दिया और उसके बाद इंडियन आयडल के लिए ऑडिशन देने मुंबई जा पहुंचा। मां को हमेशा यही चिंता थी कि अगर अंकुश वहां से बाहर मुंबई चला गया तो वह अपनी आंखों का इलाज नहीं कर पाएगा, लेकिन उसकी जिद के आगे किसी की न चली। 

दशहरे के मंच से की शुरुआत

अंकुश की इस उप्लब्धि से हर कोई खुश है। बता दें कि उसने अपनी गायिकी की शुरुआत दशहरे के मंच से की। अंकुश के पिता सुरेश भारद्वाज अपने बेटे को आज इस मुकाम पर पहुंच कर देख काफी खुश हैं, क्योंकि अंकुश ने उनका सपना पूरा किया है। उसके पिता ने बताया कि वो भी रेडियो में गाना गाया करते थे लेकिन अपनी आवाज को कभी बडे मंच पर प्रस्तुत न कर पाए। इसलिए अपने बेटे गुरु बनकर संगीत की तालीम दी। 

कोटगढ़ आने पर अंकुश का होगा जोरदार वेलकम

कोटगढ़ पहुंचने अंकुश भारद्वाज का पंचायत प्रतिनिधियों व स्थानीय जनता द्वारा जोरदार स्वागत किया जाएगा। नारकंडा ब्लॉक के प्रधान परिषद अध्यक्ष अमर सिंह नलवा ने कहा कि अंकुश भारद्वाज ने इंडियन आईडल में अपनी आवाज के दम पर पूरे कोटगढ़ क्षेत्र का नाम पूरी दिनिया में रोशन कर क्षेत्र का मान बढ़ाया है। उन्होने कहा कि मुम्बई से आने पर कोटगढ़ में अंकुश का जोरदार स्वागत किया जाएगा व प्रधान परिषद की ओर से अंकुश को सम्मानित किया जाएगा।

बच्चों को खुद चुनने दें अपना करियर : कमलेश भारद्वाज

अंकुश के पिता सुरेश भारद्वाज और माता कमलेश भारद्वाज ने कहा कि बेटे अंकुश की उपलब्धि से वे गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। हालांकि इंडियन आईडल का खितजाब न जीत पाने का मलाल जरूर रहेगा लेकिन उन्होने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका बेटा इतना बड़ा काम कर जाएगा। अंकुश की माता ने कहा कि हालांकि शुरू में उनको गीत संगीत व गायन में बिलकुल भी रूचि नहीं रही है लेकिन बेटे के जूनून व शौक के आगे मां की ममता हार गई और आज बेटे की उपलब्धि से पूरा क्षेत्र खुश है। उन्होने सभी माता-पिता से आग्रह किया कि बच्चे जिस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं उन्हे उसी क्षेत्र में प्रोत्साहित करें। और बच्चे जिस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहतें हैं उन्हें उसी क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करें।

अंकुश ने किया समर्थकों को थेंक्स

पंजाब केसरी से विशेष बातचीत में अंकुश भारद्वाज ने कहा कि इंडियन आइडल के टॉप टेन में आने को ड्रीम कम ट्रू बताते हुए सभी समर्थकों का आभार जताते हुए कहा कि समर्थकों की दुआओं व वोट से इंडियन आइडल के मंच पर एक अलगसी शक्ति का आभास होता रहा है। जिसके दम पर इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर पाया। अंकुश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेशवासियों का प्यार व माता-पिता गुरुजनों के आशीर्वाद से ही वह इंडियन आइडल के इस मुकाम पर पहुंचा पाया हूं। उन्होंने कहा कि यदि मेरी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए भी चली गई तब भी संगीत को नहीं छोडूंगा।

Ekta