भूस्खलन में कामयाब हो रही है IIT की सेंसर टैक्नॉलोजी, बड़े हादसों को राकने में मिल रही मदद (Video)
punjabkesari.in Sunday, Jul 29, 2018 - 04:37 PM (IST)
मंडी (नीरज): हिमाचल प्रदेश में इन दिनों बरसात का मौसम अपने पूरा चरम पर है। जगह-जगह भूस्खलन की घटनाएं इस मौसम में सामान्य हैं। लेकिन कुछ इलाके भूस्खलन के लिहाज से इतने संवेदनशील हैं जहां समय पर यदि जानकारी न मिले तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। अगस्त 2017 में कोटरोपी हादसा इसका जीता जागता उदाहरण है जहां 48 लोगों ने भीषण भूस्खलन के कारण अपनी जान गंवाई थी। ऐसा हादसा फिर न हो इसके लिए आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों ने एक सेंसर टैक्नॉलोजी का निर्माण किया है। इन्हें जिला प्रशासन के निर्देश पर कोटरोपी और गुम्मा सहित उन संवेदनशील स्थानों पर लगाया गया है जहां भूस्खलन की अधिक संभावना है।
डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर की मानें तो यह तकनीक भूस्खलन की पूर्व जानकारी देने में काफी मददगार साबित हो रही है। इस मौसम में प्रशासन को कई ऐसी पूर्व जानकारियां मिली जिसके चलते समय रहते वहां उचित प्रबंध किए गए और भूस्खलन को रोका गया। इसका पूर्वानुमान देने वाली सेंसर तकनीक को आईआईटी मंडी के दो विशेषज्ञों ने बनाया है। इसमें सिविल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफैसर उदय और सेंसर विशेषज्ञ डा. वरूद्ध शामिल हैं। इनकी यह तकनीक हिमाचल प्रदेश में काफी कारगर साबित हो रही है। जो सेंसर पहाड़ों पर लगाए जाते हैं वो जमीन में होने वाली हलचल को भांपते हैं। सेंसर में जमीन की हलचल को लेकर एक पैरामीटर बनाया गया है।
खतरे के निशान से उपर यदि जमीन में हलचल होने लग जाए तो फिर सेंसर मोबाइल पर भी मैसेज भेजेगा और मौके पर लगाए गए सायरन भी बजाएगा। इससे अलर्ट मिल जाएगा और हादसे को रोका जा सकेगा। बहरहाल अभी तक यह तकनीक कारगर साबित हो रही है और प्रशासन कुछेक घटनाओं को टालने में कामयाब भी हुआ है। उम्मीद यही की जा रही है कि यह तकनीक इसी तरह से काम करती रहे ताकि किसी भी बड़े हादसे का पूर्वानुमान लगाया जा सके और उससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।