IGMC में कोई मरीज बैड पर तो कोई फर्श पर तड़प-तड़प कर अपनी जिंदगी की जंग लड़ रहा

Saturday, Apr 27, 2019 - 09:54 AM (IST)

शिमला : कहते हैं कि अस्पताल में मरीज तभी आता है जब वह बीमारी से पीड़ित होता है। मरीज यही उम्मीद लेकर आता है वह वापिस घर के लिए बिल्कुल स्वस्थ होकर जाएगा, लेकिन हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल आई.जी.एम.सी. की स्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि यहां मरीज दोगुनी बीमारी होकर घर को वापिस जा रहे हैं। यहां पर सुविधा देने को लेकर सरकार और प्रशासन के दावे हाथी के दांत (खाने के और दिखाने के और) साबित हो रहे हैं।

आई.जी.एम.सी. के कार्डियोलॉजी सहित अन्य वार्डों की अगर बात की जाए तो एक ही बैड पर 2 से 3 मरीज लेटाए जाते हैं। ऐसे में मरीजों को संक्रमण का भी खतरा बढ़ रहा है। वार्ड के अंदर तो मरीजों को काफी दिक्कतें हो ही रही हैं, लेकिन जो मरीज जिन्हें बैड नहीं मिल पा रहे हैं वे भी बाहर फर्श पर रात-दिन तड़प रहे हैं। बाहर सो रहे मरीजों के सबसे ज्यादा कैंसर पीड़ित मरीज हैं। ये मरीज न तो सो पाते हैं और न ही बैठकर रातें गुजार पाते हैं।

हद तो यह है कि आई.जी.एम.सी. हिमाचल का सबसे बड़ा अस्पताल है यहां पर सुविधा देने को लेकर सरकार और प्रशासन के दावे खोखले नजर आए हैं। यहां पर सरकार और प्रशासन सुध तक नहीं ले रहा है। मरीज तड़प-तड़प कर अपनी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। मरीज और तीमारदारों के मुंह से एक शब्द निकलता है कि जब डाक्टर से मरीज को भर्ती करने को लेकर बात की जाती है तो उनका कहना है कि हमारे पास बैड की सुविधा नहीं है। आप अपने मरीज को अस्पताल से ले जा सकते हैं।

इस स्थिति में गरीब मरीज व तीमारदार न तो होटल में कमरा ले सकते हैं और न ही उन्हें अस्पताल में बैड दिया जाता है। मजबूरन फिर उन्हें अस्पताल के बाहर फर्श पर रात गुजारनी पड़ती है। ऐसे में कैंसर पीड़ित मरीजों को अपना इलाज करवाना मुश्किल हो गया है। यहां पर सबसे बड़ी बात तो यह है कि युवा वर्ग तो अपने दर्द को सहन कर भी लेता है, लेकिन जब किसी बुजुर्ग लोगों को सांस, दिल का दौरा, कैंसर, टी.बी. और अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित होता है तो उससे 5 मिनट तक भी नहीं रहा जाता है।

kirti