सेब की खेती से 5 लाख रुपए कमा रहा यह शख्स! जानिए कैसे

Friday, Aug 23, 2019 - 11:37 AM (IST)

मंडी (ब्यूरो): मिट्टी से सोना उगाने का हुनर रखने वाले लोग खेती में नयापन लाकर केवल पैसा ही नहीं कमाते हैं बल्कि दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन जाते हैं। ऐसे ही एक बागवान हैं मंडी जिला की पांगणा उपतहसील के गांव मरोठी के निवासी हेमराज गुप्ता। हेमराज ने सेब की खेती के पुराने तरीके को छोड़कर बागवानी विभाग के सघन खेती मॉडल को अपनाया और आज उनकी सफलता की कहानी पूरे इलाके के लिए  प्रेरणा बन गई है। वह बताते हैं कि सघन खेती में पुरानी फसल के एक पेड़ की जगह रूट स्टॉक के 15 से 20 पौधे लगते हैं, जिससे दोगुनी फसल और दोगुनी आमदनी होती है।

5 बीघा बगीचे से कमाए 5 लाख

हेमराज गुप्ता खेती में नई तकनीकें अपनाने और नवीन प्रयोगों को आजमाने की तरफदारी करते हुए कहते हैं कि पुराने तरीके से सेब की खेती पर उनके 5 बीघा बगीचे से 60 से 70 बॉक्स सेब निकलते थे। फिर उन्होंने सघन खेती के मॉडल को अपनाया और पुराने बगीचे का सुधार किया। 5 बीघा जमीन पर बागवानी विभाग द्वारा उपलब्ध करवाए उन्नत नस्ल के सेब के करीब 1,000 पौधे लगाए और इससे बगीचे से सेब के 200 बॉक्स निकले और औसतन 2,500 रुपए प्रति बॉक्स के हिसाब से उन्हें मौजूदा सीजन में लगभग 5 लाख रुपए की आमदनी हुई है। सघन खेती से उन्हें सेब के पौधों के अतिरिक्त पौधों के बीच की भूमि पर मौसमी सब्जियां व दालें उगाकर भी लाभ मिल रहा है।

वह बताते हैं कि उन्होंने अपने यहां पास के गांव के 2 लोगों को खेती में मदद के लिए स्थायी रोजगार दे रखा है। सेब के सीजन में तो वह 10 लोगों को रोजगार देते हैं। उनका कहना है कि सेब की परंपरागत खेती की अपेक्षा क्लोनल रूट स्टॉक पर तैयार बगीचों में 2 से 3 वर्षों में फल लगना शुरू हो जाते हैं जबकि सेब की पुराने तरीके की खेती के बगीचों में फल आने में 10 से ज्यादा साल लग जाते हैं। हेमराज आगे बताते हैं कि उन्हें बागवानी विभाग से जो उन्नत नस्ल के पौधे मिले हैं, उनके फल का आकार और रंग विदेशी फसल के मुकाबले का है। इसमें प्राकृतिक रूप से ही फल का रंग निखरा होता है। इसे रंग के लिए किसी प्रकार के स्प्रे की जरूरत नहीं पड़ती। बाजार में इनके दाम भी अच्छे मिलते हैं। इसके अलावा सरकारी मदद से बगीचे में वर्मी कंपोस्ट भी बना ली है, जिससे बागवानी में मदद मिल रही है।

क्या है सेब की सघन खेती

उपनिदेशक अमर प्रकाश कपूर बताते हैं कि सेब की सघन खेती में क्लोनल रूट स्टॉक के बौने और मध्यम बौने पौधे आपस में कम दूरी पर लगाए जाते हैं, इससे भूमि का अधिक से अधिक उपयोग किया जा सकता है। इसमें जहां कम भूमि पर अधिक पौधे लग जाते हैं, वहीं पौधों के बीच की भूमि पर अन्य खेती की जा सकती है, जिससे अधिक लाभ होता है।
 

 

 

 

kirti