भगवान रघुनाथ जी की नगरी में 40 दिनों से चल रहा होली उत्सव संपन्न

punjabkesari.in Sunday, Mar 24, 2024 - 06:22 PM (IST)

कुल्लू (गीता): भगवान रघुनाथ जी की नगरी कुल्लू में 40 दिन पहले शुरू हुआ होली उत्सव रविवार को संपन्न हो गया। कुल्लू ही नहीं अपितु भगवान कृष्ण की लीला स्थली वृंदावन में भी यह पर्व बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है। देशभर की अन्य होलियों में अलग स्थान रखने वाली कुल्लू व वृंदावन की होली अन्य स्थान पर मनाई जाने वाली होली से 40 दिन पूर्व शुरू हो जाती है। रविवार को अखाड़ा बाजार, लोअर ढालपुर, सरवरी, रामशिला, गांधीनगर सहित नग्गर, भुंतर, लगघाटी, मणिकर्ण, मनाली, बंजार के इलाकों में होली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। ग्रामीण इलाकों में भी होली की धूम मची रही। लोगों ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर जगह-जगह एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी। बता दें कि कुल्लू में होली का इतिहास रघुनाथ के कुल्लू आगमन के साथ ही शुरू हुआ। रघुनाथ के साथ महंत समुदाय के लोग भी अयोध्या से कुल्लू आए थे और उस समय से ही होली का प्रचलन कुल्लू में शुरू हो गया था। होली के दौरान कुल्लू के अधिष्ठाता देवता रघुनाथ जी के चरणों में भी गुलाल उड़ाया गया। वहीं ढालपुर मैदान में डीजे की धुन पर लोग खूब थिरके तथा जमकर गुलाल उड़ाया।

घर-घर जाकर निभाई प्राचीन परंपरा
वैरागी समुदाय के लोगों ने घर-घर जाकर प्राचीन परंपरा को निभाया। इस दौरान वैरागी समुदाय के लोगों की टोली पूरे क्षेत्र में रंग लगाने के बाद भगवान रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल लगाकर घर लौटी और शाम को फिर से सुल्तानपुर पहुंची जहां पर होलिका दहन के लिए भगवान रघुनाथ जी मंदिर से बाहर निकले और पूजा-अर्चना के साथ होलिका दहन का कार्यक्रम संपन्न हुआ।

नग्गर और झीड़ी से है होली का संबंध
वैरागी समुदाय द्वारा मनाई जाने वाली होली का संबंध नग्गर के झीड़ी और ठावा से भी है। यहां पर इस समुदाय के गुरु पेयाहारी बाबा रहते थे और उन्हीं की याद में इस समुदाय के लोग टोली बनाकर नग्गर के ठावा व झीड़ी में होली के एक दिन पहले जाकर पूरा दिन होली गीत गाते हैं।
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Content Writer

Vijay

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