22 वर्षीय बेटी के दिल में छेद, मां ने गहने तक बेचे, अब इलाज के लिए नहीं बचे पैसे

Saturday, Feb 12, 2022 - 07:03 PM (IST)

शिमला (जस्टा): आईजीएमसी में बेटी का इलाज करवाने के लिए मां दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रही है। मां ने बेटी के इलाज के लिए गहने तक बेच दिए हैं लेकिन अभी इलाज अधूरा है और इलाज करवाने के लिए पैसे तक नहीं बचे हैं। महिला के पास अब अंतिम सहारा मुख्यमंत्री बचा है, ऐसे में पीड़ित महिला ने मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए मंडी (सुंदरनगर) के धार गांव की महिला लीला देवी ने कहा कि उसकी 22 वर्षीय बेटी मनीषा के दिल में छेद है, जिसके चलते डाॅक्टर ने मनीषा को बीते 12 दिनों से आईजीएमसी के कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती किया है। डाॅक्टरों ने पूरी जांच के बाद महिला को कहा कि उनकी बेटी का ऑप्रेशन संभव नहीं है क्योंकि बीमारी काफी बढ़ चुकी है और ऑप्रेशन में अब काफी रिस्क है, ऐसे में मनीषा को अब केवल दवाओं से ही कुछ राहत मिल सकती है। 

मनीषा की जो दवाएं उसे कुछ राहत दे सकती हैं, वे भी काफी महंगी हैं। हर माह मनीषा की दवाइयों का खर्चा 15 से 20 हजार रुपए तक हो रहा है। बीमारी के कारण बेटी की पढ़ाई तक छूट गई है। अगर एक टाइम भी दवा न दी जाए तो उसके शरीर का रंग नीला पड़ने लगता है। महिला ने कहा कि बेटी के इलाज के लिए उसने अपने सभी गहने तक बेच दिए हैं। महिला का पति भी अपंग है और बेरोजगार है। लीला देवी ने बताया कि वह खुद भी बीमार रहती है। घर में गरीबी के कारण अब राशन लेने की भी दिक्कत होने लगी है। उसने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि वह उसकी बेटी के इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से फंड उपलब्ध करवाएं ताकि बेटी को इस बीमारी से कुछ राहत मिल सके। महिला का कहना है कि वह काफी ज्यादा परेशान है क्योंकि अब दवाइयां खरीदने के लिए पैसे भी नहीं बचे हैं।

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Content Writer

Vijay