...तो इतिहास बनकर रह जाएगी हिमाचल की ऐतिहासिक इमारतें

Wednesday, Feb 20, 2019 - 11:42 AM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): हिमाचल के कई शहरों में आम जन को आकर्षित करने वाली ऐतिहासिक इमारतें निरंतर अपना वजूद खो रही हैं। टी.सी.पी. महकमे द्वारा इन्हें बचाने को तैयार की गई रिपोर्ट 12 साल से भी अधिक समय से सचिवालय में धूल फांक रही है। इसमें विभाग ने 6 शहरों में 475 भवन चिन्हित कर इन्हें हैरिटेज का दर्जा देने की सिफारिश की थी। इसके पीछे पर्यटन को बढ़ावा देने की मंशा थी, लेकिन राज्य सरकारों की अनदेखी से एक-एक करके ऐतिहासिक भवन आर.सी.सी. के पक्के मकानों की शक्ल ले रहे हैं। वीरभद्र सरकार ने साल 2006 में शिमला की तर्ज पर अन्य शहरों में भी आकर्षक दिखने वाली सरकारी व गैर-सरकारी इमारतों को हैरिटेज का दर्जा देने के मकसद से टी.सी.पी. को अहम जिम्मेदारी सौंपी थी।

इसके बाद नगर एवं ग्राम नियोजन महकमे ने मंडी, रामपुर, कसौली, सोलन, डल्हौजी और नाहन में करीब 475 ऐतिहासिक भवन चिन्हित कर सरकार से इन्हें हैरिटेज बनाने की सिफारिश की। छोटी काशी नाम से मशहूर मंडी शहर की रिपोर्ट पर तो विभाग ने लोगों से आपत्ति एवं सुझाव भी मांग लिए थे। टी.सी.पी. महकमे ने साल 2007 में ही यह रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इसके बाद राज्य में 2012 तक भारतीय जनता पार्टी तथा 2017 तक कांग्रेस सरकार ने 5-5 साल सत्ता का सुख भोगा, लेकिन किसी भी सरकार ने इस रिपोर्ट पर गौर नहीं किया। मौजूदा सरकार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही। आलम यह है कि अब तो टी.सी.पी. के अधिकारियों को भी इस रिपोर्ट की जानकारी नहीं रही।

हैरिटेज में मनमाफिक निर्माण पर पाबंदी

हैरिटेज भवनों में मनमाफिक तोड़-फोड़ या मुरम्मत कार्य नहीं किया जा सकता। मुरम्मत कार्य शुरू करने से पहले टी.सी.पी. महकमे से अनुमति लेनी होती है। इसके बाद विभाग सशर्त मुरम्मत की अनुमति देगा। यह अनुमति ओल्ड लाइन पर मुरम्मत करने की शर्त पर दी जाती है। यानी मुरम्मत के बाद भवन की शल्क पहले जैसी होनी चाहिए।

इस कारण सैलानियों में आई गिरावट

जानकारों की मानें तो प्रदेश में बीते कुछ सालों के दौरान पर्यटन क्षेत्र में विकास के नाम पर सरकार कुछ नहीं कर पाई है। यही वजह है कि वर्ष 2018 में 2017 की तुलना में प्रदेश में 3 लाख 15 हजार 1030 सैलानी कम आए हैं। यदि राज्य सरकार इन धरोहरों का वजूद खत्म होने से बचाती है तो इससे भविष्य में सैलानियों की संख्या में भी इजाफा होगा।

शिमला की तर्ज पर धरोहरों का किया जाना था संरक्षण

सूबे के विभिन्न शहरों में ऐतिहासिक धरोहरों को हैरिटेज का दर्जा देने के पीछे पर्यटन को बढ़ावा देने की मंशा थी। शिमला शहर में टाऊन हाल, रेलवे बोर्ड, गार्डन कैसल, वाइस रीगल लॉज, गेयटी थिएटर, राजभवन भवन समेत डेढ़ दर्जन से ज्यादा भवन हैरिटेज हैं। इन्हें देखने के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी शिमला पहुंचते हैं। इसी तर्ज पर प्रदेश के अन्य शहरों में भी हैरिटेज भवन बनाकर पर्यटन कारोबार को बढ़ावा दिया जाना था।

Ekta