अपने ही नदी-नालों के पानी के लिए लड़ाई लड़ेगा हिमाचल

Thursday, Feb 14, 2019 - 10:48 PM (IST)

शिमला: राज्य सरकार नदियों, नालों और बांधों का पानी प्रदेश के विकास के लिए प्रयोग करने को लेकर जल्द नीति बनाएगी। आई.पी.एच. मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने यह बात सदन में कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नदी-नालों और बांधों से सिंचाई तथा पीने के पानी के लिए लड़ाई लड़ेगी। विधायक सुखराम चौधरी द्वारा गैर-सरकारी सदस्य कार्यदिवस के तहत लाए गए संकल्प के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि नीति बनाने के लिए कानून में संशोधन की जरूरत हुई तो सरकार इससे भी पीछे नहीं हटेगी ताकि प्रदेश के विकास में किसी प्रकार की बाधा न रहे। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपने हकों की लड़ाई लड़ें। उन्होंने कहा कि प्रदेश की नदियों, नालों और बांधों से पानी लेने की समस्या से तभी पार पाया जा सकता है जब भारत सरकार के समक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे।

हिमाचल के गठन से पहले हुए समझौते व्यावहारिक नहीं

मंत्री ने कहा कि हिमाचल के गठन से पहले बी.बी.एम.बी., पौंग बांध, शानन, पंडोह डैम तथा गोबिंदसागर डैम जैसी परियोजनाओं को लेकर हुए समझौतों में प्रदेश के हितों की पूरी तरह से अनदेखी हुई है। उन्होंने कहा कि ये समझौते किसी भी सूरत में न तो व्यावहारिक हैं और न ही हिमाचल के हक में हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं समझौतों की बदौलत आज हिमाचल अपनी ही नदियों ब्यास, सतलुज, चंद्रभागा, रावी और यमुना से अपने स्तर पर पानी की एक बूंद भी नहीं ले सकता तथा इसके लिए केंद्र सरकार और अन्य विभिन्न एजैंसियों पर निर्भर है। उन्होंने यह भी कहा कि रेणुका बांध परियोजना के संबंध में प्रदेश के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा गया है।

सरकार के लिए भी चिंता का विषय

उन्होंने कहा कि यह सरकार के लिए भी चिंता का विषय है कि अपने पानी को इस्तेमाल में लाने के लिए पहले उसे विभिन्न एजैंसियों से एन.ओ.सी. लेनी पड़ती है। मंत्री ने कहा कि एन.ओ.सी. लेने में हो रही देरी के कारण बड़ी योजनाओं के काम को शुरू करने में लंबा समय लग रहा है। इससे परियोजना की लागत भी बढ़ रही है और लोगों को समय पर योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। नदी जल बंटवारे पर हुए अंतर्राज्यीय हस्ताक्षर को राज्य सरकार और विभागों को मानना पड़ रहा है।

छूट प्रदान करने के लिए सरकार बनाए नीति : सुखराम चौधरी

इससे पूर्व विधायक सुखराम चौधरी ने संकल्प पेश करते हुए कहा कि प्रदेश में नई पेयजल और सिंचाई योजनाओं को पानी देने के लिए कई केंद्रीय एजैंसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की छूट प्रदान करने के लिए सरकार नीति बनाए। इस मुद्दे पर विधायक राकेश पठानिया, रमेश धवाला, होशियार सिंह और अरुण कुमार ने भी अपने विचार रखे तथा संकल्प का समर्थन किया।

Vijay