Himachal Weather: न्यूनतम पारा गिरने से शीतलहर बढ़ी, जमने लगी प्राकृतिक झीलें
punjabkesari.in Wednesday, Nov 20, 2024 - 02:38 PM (IST)
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम पारा गिरने से शीतलहर बढ़ गई है। जानकारी के अनुसार, झरनों के साथ प्राकृतिक झीलें भी जमने लगी हैं। लाहौल की सिस्सू झील पर बर्फ की परत जम गई है। जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति के ताबो में न्यूनतम तापमान माइनस 8.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। तीन अन्य स्थानों का न्यूनतम तापमान भी माइनस में है।
वहीं 13,124 फुट की ऊंचाई पर स्थित नीलकंठ झील के साथ रोहतांग दर्रे के साथ सटी भृगु झील का पानी भी ठोस बर्फ में तबदील होना शुरू हो गया है। वहीं 13.800 फुट की ऊंचाई पर स्थित चंद्रताल झील के साथ मनाली-लेह सड़क से सटे सूरजताल, दीपकताल व अल्यास झील का पानी काफी दिन पहले से जमना शुरू हो चुका है। इसके साथ ही सिस्सू के समीप सिस्सू झील का पानी भी रात्रि तापमान में गिरावट के चलते सुबह के समय जमना शुरू हो गया है।
इस सीजन में निचले क्षेत्रों में बर्फबारी नहीं हुई है लेकिन शुष्क ठंड से रात्रि तापमान में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। लाहौल वनमंडलाधिकारी अनिकेत वानवे ने कहा कि पहाड़ में ऊंचाई पर झरने और नालों का पानी जमना शुरू हो गया है। ऊंचाई पर विचरने वाले वन्यजीव प्यास बुझाने के लिए निचले क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं। लोग निचले क्षेत्रों में आ रहे वन्य जीवों से छेड़छाड़ न करें।
ठोस बर्फ में तब्दील हुए झरने-नाले, सड़क पर भी जम रहा कोहरा
चंबा जिले में भी अब ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तापमान शून्य से नीचे जाने के कारण प्राकृतिक जल स्रोत जमने लग पड़े हैं। वहीं सड़कों पर भी बर्फ की हल्की परत जमने से वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। ऐसा ही नजारा जनजातीय क्षेत्र पांगी के तहत आते सचे जोत पर देखने को मिल रहा है। यहां पर करत नाला के साथ बहने वाला झरना पूरी तरह से बर्फ में तब्दील हो चुका है।
वहीं सड़क पर भी रोजाना सुबह बर्फ की हल्की परत जमने से हर पल दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है। जिले में बारिश के अभाव में एक तरफ किसान खेतों में गेहूं की बिजाई समय पर नहीं कर पाए हैं, वहीं दूसरी ओर शुष्क ठंड के चलते लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।