हिमाचल के लव जिहाद कानून को इस संस्था ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

Saturday, Feb 13, 2021 - 11:34 PM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): हिमाचल और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पारित लव जिहाद व अवैध धर्मांतरण कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। एनजीओ सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने संशोधन याचिका एडवोकेट तनिमा किशोर के माध्यम से अदालत में दायर की है। इस पर 17 फरवरी को देश की शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी है। याचिका में हिमाचल प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट 2019 और मध्य प्रदेश के फ्रीडम ऑफ रिलीजन ऑडीनैंस 2020 को चैलेंज किया गया है। सीजेपी एनजीओ इससे पहले उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कानूनों को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुका है।

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 6 जनवरी को सुनवाई के बाद उत्तराखंड और यूपी की सरकारों को नोटिस जारी किए हैं। सीजेपी ने अब दूसरी संशोधन याचिका दायर कर कहा कि वर्ष 2012 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2006 और 2007 के नियमों के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था। सीजेपी का तर्क है कि उच्च न्यायालय के इस फैसले के बावजूद राज्य ने 2006 के अधिनियम के प्रावधानों को फिर से लागू किया है, ऐसा इस रूप में किया है जो संवैधानिक योजना के तहत और भी अधिक अप्रिय और असंवैधानिक है।

याचिका में कहा गया है कि भारतीय नागरिक मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार का आनंद उठाते हैं लेकिन उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और मध्य प्रदेश के निवासियों के जीवन को नियंत्रित करने के लिए अधिनियम और अध्यादेश असंवैधानिक है। इसलिए याचिकाकर्ता ने नया कानून मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला बताया।

सीजेपी एनजीओ के सचिव तीस्ता सीतलवाड़ ने बताया कि सीजेपी संस्था ने दूसरी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है, जिसके जरिए हिमाचल और एमपी दोनों राज्यों के कानून को चुनौती दी गई है। इस पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होनी है।

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Vijay