हिमाचल के 15000 में से हर साल केवल 10 स्कूलों के मिड-डे मील की होती है जांच

Friday, Jan 11, 2019 - 10:01 AM (IST)

शिमला (प्रीति मुकुल): प्रदेश के 15000 सरकारी स्कूलों में से हर साल केवल 10 स्कूलों के मिड-डे मील के खाने की जांच होती है। यह जांच भी पंजाब के मोहाली की टैस्टिंग लैब में करवाई जाती है। विभाग खाने के सैंंपल लेकर इस टैस्टिंग लैब को भेजते हैं। इसके बाद इसकी रिपोर्ट आने में लगभग 2 माह का समय लग जाता है, ऐसे में यदि रिपोर्ट में गड़बड़ियां सामने आती हैं तो इससे छात्रों की सेहत प्रभावित हो रही है। जिस खाने की रिपोर्ट दो माह बाद आ रही है, यह खाना स्कूली छात्र 2 महीने पूर्व खा चुके होते हैं। 


विभाग की यह व्यवस्था छात्रों की सेहत पर भारी पड़ रही है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में जब से मिड-डे मील योजना शुरू हुई है तब से लेकर अभी तक केवल ऊना और सोलन जिले के 10-10 स्कूलों के मिड-डे मील के खाने की जांच हो पाई है। इस साल विभाग हमीरपुर जिला के 10 स्कूलों में मिड-डे मील के खाने को लैब में भेजने की तैयारी कर रहा है। शिक्षा विभाग यदि इसी तरह मिड-डे मील की जांच करवाता रहा तो सभी स्कूलों को कवर करना विभाग के लिए मुश्किल होगा और इससे विद्यार्थियों का स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा।

खाने की प्लेट्स देने के निर्देश

प्रदेश के जिन स्कूलों में मिड-डे मील की योजना के तहत पर्याप्त खाने की प्लेट्स नहीं हैं, उन स्कूलों का विभाग ने जिलों से ब्यौरा मांगा है। इसके साथ ही स्कूलों को एम.एम.ई. फंड के तहत इन प्लेट्स को खरीदने के निर्देश भी जारी किए हैं।

सरकार को भेजा था प्रस्ताव

शिक्षा विभाग ने मिड-डे मील के खाने को जांचने के लिए टैसिं्टग लैब की मांग उठाई थी। इसको लेकर विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भी भेजा लेकिन अभी तक सरकार क ी ओर से विभाग को कोई जवाब नहीं मिला है। गौरतलब है कि इस समय प्रदेश में 2 लाख से अधिक बच्चे मिड-डे मील योजना का लाभ उठा रहे हैं। हाल ही में भारत सरकार की टीम ने मंडी और सिरमौर जिला के स्कूलों में मिड-डे मील जांचा था। इस दौरान टीम ने खाने को लेकर कई सवाल उठाए थे। टीम ने प्रदेश सरकार को अवगत करवाया था कि स्कूलों में बच्चे अनीमिया ग्रस्त हैं। इसके लिए टीम ने प्रदेश सरकार को मिड-डे मील में हरे पत्तेदार सब्जियां शामिल करने की सलाह भी दी थी।

Ekta