2 युवा सैनिकों की शहादत पर हिमाचल गमगीन, कल पार्थिव देह पहुंचने की उम्मीद
punjabkesari.in Thursday, Feb 10, 2022 - 12:07 AM (IST)

पपरोला (बैजनाथ)/भराड़ी (घुमारवीं) (गौरव/राकेश): अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन की चपेट में आने से शहीद होने वाले 7 वीर सैनिकों में से हिमाचल के 2 युवा सैनिक भी हैं। घुमारवीं के गांव सेऊ के 22 साल के अंकेश भारद्वाज और कांगड़ा के बैजनाथ के महेशगढ़ के 26 वर्षीय जवान राकेश सिंह की पार्थिव देह शुक्रवार को उनके पैतृक गांवों में पहुंचने की उम्मीद है। शहीदों की पार्थिव देह पहले तेजपुर (अरुणाचल प्रदेश) फिर उसके बाद गुवाहाटी पहुंचेंगी। फिर वहां से हवाई सेवा द्वारा दिल्ली और फिर पठानकोट पहुंचाई जाएंगी। पठानकोट से सड़क मार्ग द्वारा दोनों शहीदों को के पैतृक गांवों के लिए भेजी जाएंगी। सपने सजाने की उम्र में देश के लिए शहीद होने का जज्बा रखने वाले दो युवा सैनिक खोने पर हिमाचल प्रदेश गमगीन है। पंजाब केसरी समूह 2 युवा सैनिकों की शहादत पर उनको शत-शत नमन करता है।
शहीद राकेश की पत्नी बेसुध और टकटकी लगाए सबको देख रहा 6 माह का बच्चा
अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन की चपेट में आकर शहीद हुए राकेश सिंह की गांव की सड़क को पक्का बनाने की इच्छा अधूरी रह गई। करीब 4 माह पहले ही राकेश सिंह अपने घर आया था। बुधवार को जैसे ही परिजनों को राकेश सिंह के शहीद होने का समाचार मिला, पूरे गांव में मातम छा गया। शहीद की मां संध्या देवी अपने लाडले इकलौते बेटे के वियोग में फूट-फूट कर रोने लगी, जबकि पत्नी अपने कमरे में 6 माह के बेटे के साथ बेसुध पड़ी रही। 6 माह का बच्चा घर में मचे कोहराम पर कभी डर कर सबको देख रहा तो कभी रोना शुरू कर रहा। बुधवार को बैजनाथ के विधायक मुल्खराज प्रेमी प्रशासनिक अमले संग शहीद के घर पहुंचे व पीड़ित परिवार को सांत्वना दी। हवलदार पद से सेवानिवृत्त राकेश के पिता जिगरी राम ने बताया कि मेरे बेटे ने वापस घर लौटने का वादा किया था लेकिन हमें ये नहीं पता था कि वह तिरंगे में लिपटकर घर वापस आएगा। राकेश करीब 7 साल पहले सेना में भर्ती हुआ था व दिल्ली में नौकरी करने के बाद ही उसकी पोस्टिंग 19 जैक राइफल अरुणाचल प्रदेश में हुई थी। शहीद की मां ने बताया कि करीब 5-6 दिन पहले ही उसकी बात राकेश से हुई थी। उधर, राकेश सिंह के शहीद होने का समाचार सुनने के बाद गांववासियों ने पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाया। शहीद राकेश की शादी अक्तूबर, 2020 में हुई थी। गांव में यूं तो हर चौथे घर से कोई न कोई सेना में कार्यरत है लेकिन पहली बार इस गांव से कोई जवान शहीद हुआ है।
अधूरी रह गई सड़क पक्की होने पर गाड़ी लाने की आस
उपमंडल बैजनाथ के कंदराल पंचायत के महेशगढ़ गांव की कच्ची सड़क को पक्का करने की इच्छा शहीद की अधूरी रही लेकिन उसके घर पर सूचना देने पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी भी कच्ची सड़क को लेकर चिंतित दिखे। बता देें कि गांव की सड़क कच्ची मिट्टी से बनी हुई है जहां बारिश होने पर गाड़ियां तो दूर पैदल चलना भी दूभर है। राकेश ने अपनी मां व परिजनों से कहा था कि जब भी गांव की सड़क पक्की होगी वह अपनी नई गाड़ी लेकर घर वापस आएगा। बुधवार को शहीद के घर पहुंची पुलिस सहित कई गाड़ियां शहीद के घर को जाते कच्चे रास्ते में फंसती दिखीं।
दोस्त के साथ इस बार कसौल वैली घूमने का प्लान बनाकर गया था अंकेश भारद्वाज
बिलासपुर जिला के घुमारवीं उपमंडल के गांव सेऊ के 21 वर्षीय अंकेश भारद्वाज की शहादत के बाद हर कोई सन्न है। हंसमुख अंकेश के दोस्त तो काफी थे लेकिन उसके सबसे घनिष्ट दोस्त विशाल (हैप्पी) रहे। अंकेश जब भी छुट्टी आता था तो सबसे पहले हैप्पी को फोन करता था। विशाल ने बताया कि वे दोनों इकट्ठे पढ़े हैं और दोनों आपस में रिश्तेदार भी हैं। बीते साल जनवरी महीने में जब उसकी बाइक की दुर्घटना हुई थी और वह काफी दिनों तक बीमार रहा था तो अंकेश हर रोज उसके पास आता था। विशाल ने बताया कि बीते अगस्त माह में जब अंकेश छुट्टी आया था तो फोन आया कि मुझे बिलासपुर लेने आओ तो विशाल रात को उसे लाने के लिए बिलासपुर बस स्टैंड गया। विशाल ने बताया कि अगस्त महीने में वह 40 दिन की छुट्टी आया हुआ था तो वह पराशर (मंडी) घूमने गए हुए थे। जनवरी महीने में जब अंकेश छुट्टी आया था तो खीरगंगा घूमने गए थे। अपना दोस्त खोने वाले विशाल उर्फ हैप्पी ने बताया कि उसे बर्फीले पहाड़ों और दूर-दराज के क्षेत्रों में घूमने का काफी ज्यादा शौक था और वह कुश्ती में चैम्पियन रहा था। कुछ दिन पहले उसका फोन आया था और उसने बताया था कि दोनों ट्रैकिंग के लिए पीन पार्वती कसौल वैली में जाएंगे। ट्रैकिंग करने के बाद वहां पर पूरे क्षेत्र में कुछ दिनों तक घूमेंगे।
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