जैनरिक दवाइयों को बढ़ावा दे हिमाचल सरकार, 25% लोग दिल की बीमारी की चपेट में

Sunday, Aug 12, 2018 - 01:51 PM (IST)

शिमला (जस्टा): हिमाचल में 25 प्रतिशत लोग दिल की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। दिल की बीमारी से बचने के लिए जैनरिक दवाइयां सबसे फायदेमंद हैं। ऐसे में हिमाचल सरकार को जैनरिक दवाइयों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। यह बात शिमला में आयोजित प्रैस वार्ता के दौरान मोहाली के एक कोर्डियोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टैंट डाक्टर करुण बहल ने बताई। उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य विकासशील देशों के मुकाबले भारत में रोग की पहचान पश्चात हार्टअटैक से मरने वालों की दर सबसे ज्यादा है। एक स्वतंत्र रिपोर्ट के मुताबिक करीब 20 प्रतिशत मरीज दिल का दौरा पडऩे की वजह से अस्पताल पहुंचते हैं। भारत में दुनिया की 16 फीसदी आबादी बसती है और यहां दुनिया के 25 फीसदी कॉरोनरी आर्टरी डिजीज (चक्रीय धमनी रोग) हैं। हार्ट फेलियर का सबसे आम कारण आर.एच.डी. और सी.ए.डी. है।

लोगों को नियमित जांच के जरिए अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हार्ट फेलियर एक स्थिति है जब हृदय शरीर की जरूरतों को पूरा करने योग्य रक्त नहीं पहुंचा पाता। इसमें दिल धड़कना बंद नहीं करता, जैसा कि कार्डियक अरेस्ट में होता है लेकिन कमजोर पड़ जाता है और अपने चैंबर्स में पहुंचने वाले रक्त को बाहर पंप नहीं कर पाता है। भारत में रोग की पहचान के एक साल बाद हार्ट फेलियर से मरने वालों की दर 23 फीसदी है। डा. बहल ने कहा कि भारतीय की मृत्यु दर का सबसे प्रमुख कारण है कि मरीज बीमारी की अंतिम स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं और वो डायबिटीज और हायपरटैंशन की अतिरिक्त बीमारियों से ग्रस्त होते हैं। दूसरे देशों में मरीज भले ही जल्दी अस्पतालों में पहुंच जाते हैं लेकिन भारत में हैल्थकेयर तक पहुंच और फिर लंबे इलाज के दौरान अनुपालन करना भारत में बड़ी समस्या है, क्योंकि हार्ट फेलियर के मरीजों को ताउम्र दवाएं लेनी पड़ती हैं।

Ekta