हिमाचल सरकार ने उत्पाती बंदरों को ‘कैद’ करने के लिए निकाली नई तरकीब

Tuesday, Feb 21, 2017 - 11:38 AM (IST)

शिमला: हिमाचल के बंदरों को उत्तर-पूर्वी राज्यों में भेजने का फार्मूला फेल होने से सरकार ने एक और नई तरकीब तैयार की है। अब ‘बदमाश’ बंदरों को सरकार लाइफ केयर सैंटर के अंदर रखेगी। इसकी शुरूआत शिमला से होगी। सरकार के प्रस्ताव को सैंट्रल जू अथॉरिटी (सी.जैड.ए.) ने स्वीकृ ति प्रदान कर दी है। अब वन विभाग उत्पाती बंदरों को पकडऩे की मुहिम छेड़ेगा। सैंटर में बंदर स्थायी तौर पर रह सकेंगे। इसके लिए तारादेवी के पास जंगल में 10 हैक्टेयर यानी 120 बीघा जमीन तलाशी गई है। इस जमीन की चारों ओर से फैंसिंग की जाएगी। 


तारा देवी सैंटर में रखा जाएगा
सैंटर को दिल्ली की तर्ज पर वैज्ञानिक आधार पर विकसित किया जाएगा। इसमें बंदरों को फूड की पूरी व्यवस्था की जाएगी। उन्हें अंदर घूमने की जंगल की ही तरह आजादी रहेगी लेकिन दोबारा बाहर नहीं आ सकेंगे। वन विभाग उनके खानपान का पूरा ख्याल रखेगा। इस प्रोजैक्ट पर सरकार करीब एक करोड़ खर्च करेगी। पहले चरण में एक हजार बंदरों को शिमला से पकड़ा जाएगा। ये सभी उत्पाती किस्म के होंगे। इनकी नसबंदी की जाएगी। उसके बाद इन्हें तारादेवी सैंटर में रखा जाएगा। इससे पहले वानर सेना को उत्तर-पूर्व राज्यों में भेजने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। 


शिमला शहर में करीब साढ़े 3 हजार बंदर
राज्य सरकार ने इन राज्यों को पत्र लिखे लेकिन वहां की सरकारों ने बंदरों के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। अब सरकार एक बार फिर से आग्रह करेगी लेकिन यह आग्रह औपचारिकता मात्र बन कर रहेगा। वन विभाग के मुताबिक शिमला शहर में करीब साढ़े 3 हजार बंदर हैं। शहर में इन्हें वर्मिन घोषित किया गया था लेकिन तब एक भी व्यक्ति ने इन्हें मारने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके पीछे लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आड़े आ रही हैं। अब शहर में ये दोबारा वर्मिन घोषित हो सकते हैं। इस संबंध में केंद्र से स्वीकृति आने वाली है।


पहले बना था प्राइमेट पार्क
पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान तारादेवी में ही बंदरों के लिए प्राइमेट पार्क बनाया गया था। शिमला के बंदरों को पकड़ कर तारादेवी ले गए लेकिन कुछ समय के बाद ही ये भाग गए थे। इन बंदरों ने शोघी क्षेत्र में आतंक मचाया था। जिन इलाकों में पहले बंदर थे भी नहीं, वहां भी इनका उत्पाद शुरू हो गया था। इसका किसानों ने विरोध जताया था। 


शिमला में लगाए गए यंत्र
वन विभाग ने वन्य प्राणी विंग के माध्यम से बंदरों को भगाने के लिए विशेष प्रकार का यंत्र भी आजमाया था। इसे प्रायोगिक तौर पर शुरू किया था। सी.टी.ओ. के पास इसका प्रयोग भी हुआ मगर बंदर इसके पास से नहीं भागे थे। इसकी वजह यह है कि बंदरों की फूड से संबंधित आदतों में बदलाव आ गया है। शहर में ये पर्यटकों से बर्गर और पिज्जा व सॉफ्टी जैसी चीजें छीन लेते हैं। इससे इनके व्यवहार में परिवर्तन आ चुका है। इससे इनका जंगलों में टिका रहना संभव नहीं लगता।