वार्डों का रोस्टर जारी होने से कई मौजूदा पार्षदों की उम्मीदों पर फिरा पानी

Sunday, Apr 30, 2017 - 01:37 PM (IST)

शिमला : हिमाचल प्रदेश में नगर निगम के चुनाव के लिए वार्डों का रोस्टर जारी होने से कई मौजूदा पार्षदों की उम्मीदों पर पानी फिरा है लेकिन कुछ नेताओं के लिए मैदान क्लीयर हो गया है। बता दें कि  चुनाव पार्टी सिंबल पर होने की संभावना इस बार कम है, पर भाजपा और माकपा इसके पक्ष में है। जबकि सरकार इस पक्ष में लगती। क्योंकि धर्मशाला में भी कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक दलों के सिंबल पर चुनाव नहीं कराए और इस फार्मूले को यहां लागू  करने की संभावना है। दरअसल, इस वार्ड की संख्या को नगर निगम के चुनाव के लिए बढ़ाया गया है और इसकी संख्या 25 से बढ़ाकर 34 हो गई है। 34 वार्डों में सामान्य श्रेणी के लिए 14 वार्ड हैं और 14 वार्ड महिलाओं के लिए और 6 वार्ड अनुसूचित जाति कि लिए आरक्षित हुए हैं। जिनमें 3 अनुसूचितजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं। इतना ही नहीं नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव सीधा न होकर पार्षदों के चयन से होगा और पूरा जोर वार्डों में लगेगा।


इन पार्षदों की उम्मीदों पर फिरा पानी 
बता दें कि मौजूदा नगर निगम में से जिन पार्षदों के वार्ड रिजर्व हुए हैं, उनमें शशि शेखर चीनू, सुरेंद्र चैहान, सुशांत कपरेट, नरेंद्र ठाकुर, प्रवीण कुमार, आलोक पठानिया, कुलदीप ठाकुर, अनूप वैद, मनोज कुठियाला और दीपक रोहाल मौजूद हैं। इन पार्षदों के वार्ड आरक्षित होने से इनकी उम्मीदों पर पानी फिरा है। वहीं दूसरी ओर वार्डों के डीलिमिटेशन से वह साथ लगते वार्डों पर भी नजरें गड़ाए थे, लेकिन कुछ  पार्षदों के साथ लगते वार्ड भी आरक्षित हो गए। इन पार्षदों के वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं और कुछ अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हुए हैं। इससे कांग्रेस और बीजेपी के समीकरण बिगड़ गए हैं। बताया जा रहा है कि काफी दिनों से चर्चा थी वार्डों का आरक्षण 2011 में वार्डों की जनसंख्या के आधार पर होगा और हुआ भी वैसा ही, पर कांग्रेस की मांग थी कि आरक्षण पर्ची सिस्टम से हो, लेकिन सरकार ने किसी पचड़े से बचने के लिए जनसंख्या को ही आधार बनाया।