बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाला: CBI को जांच सौंपे जाने से बढ़ी निजी शिक्षण संस्थान की धुकधुकी

Wednesday, Dec 19, 2018 - 12:51 PM (IST)

शिमला (राक्टा): बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) को सौंपे जाने से सूबे के कुछ निजी शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों की धुकधुकी बढ़ गई है। इस मामले में कई बड़े शिक्षण संस्थान जांच के दायरे में हैं। विशेष है कि पुलिस ने शिक्षा विभाग की शिकायत के आधार पर जो एफ.आई.आर. दर्ज की थी, उसमें भी कुछ निजी शिक्षण संस्थानों के नामों का उल्लेख किया गया था। इसके बाद कुछ संस्थानों के प्रतिनिधि सचिवालय भी पहुंचे थे। स्कॉलरशिप घोटाला देश के कई राज्यों में फैला हुआ है। कई राष्ट्रीयकृत बैंक भी इसमें शामिल हैं। 

शिक्षा विभाग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन किया है। जांच रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ निजी संस्थानों में बांटा गया जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला, ऐसे में अब कई चेहरे जांच की जद में आएंगे। सी.बी.आई. की शिमला स्थित शाखा में यह मामला दर्ज किया जा सकता है।

सभी नियमों को ताक पर रख दिया अंजाम

छात्रवृत्ति आबंटन में निजी शिक्षण संस्थानों ने सभी नियमों को ताक पर रखा। बीते 4 साल में 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19,915 को 4 मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति राशि जारी कर दी गई। इसी तरह 360 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति 4 ही बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। 5,729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है। 

क्या है मामला

राज्य सरकार को शिकायत मिली थी कि जनजातीय क्षेत्र लाहौल-स्पीति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्याॢथयों को छात्रवृत्ति राशि नहीं मिल रही है। ऐसे में शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए शिक्षा विभाग ने मामले की जांच करवाने का निर्णय लिया। इस दौरान फ र्जी एडमिशन से छात्रवृत्ति राशि के नाम पर घोटाले होने के तथ्य सामने आए। घोटाले की राशि 250 करोड़ बताई जा रही है।

Ekta