HC ने सड़क परिवहन व उच्च मार्ग मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर की प्रतिकूल टिप्पणी, दिए यह आदेश

Wednesday, Apr 10, 2019 - 09:45 AM (IST)

शिमला (मनोहर): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिए हैं कि वह हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग को 22 मई तक उचित फंड मुहैया करवाए ताकि नैशनल हाईवेज की मुरम्मत की जा सके। न्यायालय के ध्यान में लाया गया कि प्रदेशभर में नैशनल हाईवेज की मुरम्मत नहीं की जा रही है और एक भी नैशनल हाईवे गाड़ी चलाने लायक नहीं है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकान्त और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सड़क परिवहन व उच्च मार्ग मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा कि यदि नई पॉलिसी के अनुसार ही हिमाचल में नैशनल हाईवे बनाए जाने हैं तो उस स्थिति में डी.पी.आर. बनाने के लिए खर्च की गई करोड़ों रुपए की राशि निरर्थक है।

खंडपीठ ने केन्द्र सरकार को आदेश दिए कि वह उदाहरण के तौर पर मैसर्ज लायन इंजीनियरिंग कंसल्टैंट्स द्वारा 3 करोड़ रुपए में तैयार की गई डी.पी.आर. को अदालत के समक्ष पेश करे। केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि प्रदेश में 69 नैशनल हाईवेज की डी.पी.आर. तैयार किए जाने के लिए केन्द्र सरकार ने 24 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं और 163 करोड़ रुपए खर्च किए जाने बाकी हैं। हाईकोर्ट को यह भी बताया गया कि केन्द्र सरकार द्वारा नैशनल हाईवजे बारे नई पॉलिसी बनाई जा रही है और शीघ्र ही नई पॉलिसी के अनुसार ही नैशनल हाईवेज बनाए जाएंगे। केंद्र सरकार की ओर से न्यायालय को यह भी बताया गया कि केन्द्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग को 25 करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी गई है।  

कोर्ट ने पूछा- कितने नैशनल हाईवे बनेंगे, डी.पी.आर. तैयार करने में कितना समय लगेगा

कोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिए कि वह शपथ पत्र के माध्यम से न्यायालय को बताए कि हिमाचल में कितने नैशनल हाईवे बनाए जाने का निर्णय लिया गया है और इनकी डी.पी.आर. तैयार किए जाने के लिए कितना समय लगेगा। अपने पिछले आदेशों में हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा था कि हिमाचल में 69 स्टेट हाईवे जिन्हें नैशनल हाईवे बनाया जाना है तथा नैशनल हाईवे जिन्हें फोरलेन या चौड़ा किया जाना है, उनकी जानकारी अदालत को सारिणीबद्ध तरीके से सौंपी जाए। मामले की आगामी सुनवाई 18 जून को निर्धारित की गई है।

Ekta