यहां जंगल में तबदील हुए शिव मंदिर तालाब व बावड़ी (Watch Pics)
punjabkesari.in Tuesday, Jul 24, 2018 - 05:19 PM (IST)

चिंतपूर्णी (सुनील): धार्मिक स्थल चिंतपूर्णी में वर्षों पहले प्राचीन काल में बने शिव मंदिर के साथ तालाब के पानी में हरे रंग की स्वाली जमी हुई है। वहीं तालाब सहित शिव मंदिर जंगल का रूप धारण किए हुए है। महाराजा रणजीत सिंह ने इस तालाब का निर्माण किया था तथा बाद में गहरा होने के कारण प्रतिवर्ष तालाब में श्रद्धालुओं के स्नान करते-करते एक-दो मौतें होने का सिलसिला चलता रहा। तत्पश्चात अमर शहीद लाला जगत नारायण ने इस तालाब की कार सेवा करवाकर तालाब को सुंदर रूप में परिवर्तित किया, जिसके बाद तालाब में मौत का सिलसिला बंद हुआ।
बावड़ी में जाली तो लगाई लेकिन सफाई करना भूल गए
शिव मंदिर तालाब व बावड़ी पूरी तरह जंगल के रूप में तबदील हो चुके हैं। तालाब के एक कौने पर बनी बावड़ी जहां से मां चिंतपूर्णी की पावन पिंडी के स्नान के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम पवित्र जल लाया जाता है, उसे जाली लगाकर बंद तो कर दिया है लेकिन सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है।
शिव मंदिर के पिछली तरफ करीब 25 वर्ष पहले मंदिर न्यास ने 20 शौचालयों का निर्माण किया लेकिन मंदिर ट्रस्ट व बाबा माई दास की समाधि पर विराजमान स्वामी नारायण प्रकाश भारती के साथ विवाद के चलते आज यह धरोहर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।
गिरने की कगार पर है तालाब के समीप बना शैड
तालाब के समीप शैड गिरने की कगार पर है। वहीं महिलाओं के लिए बनाए गए स्नानघर में घास उगी हुई है। शिव मंदिर में प्राचीन काल से स्थापित किया गया शिवलिंग भी खंडित हो चुका है।
तालाब के एक तरफ पुरानी देवताओं की मूर्तियां कमरे में बिखरी हुई पड़ी हैं। शिव तालाब मंदिर को जाने वाले दोनों रास्ते बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं।
विवाद के चलते कोर्ट में विचाराधीन है मामला
स्वामी नारायण प्रकाश भारती का कहना है कि वह अस्वस्थ हैं और जूना अखाड़ा के अधीन शिव तालाब मंदिर सहित और भी क्षेत्र है जिस पर विवाद के चलते मामला कोर्ट में विचाराधीन है। वहीं मंदिर अधिकारी अवनीश शर्मा का कहना है कि तालाब के आसपास क्षेत्र जूना अखाड़ा के अधीन है। इसके सौंदर्यीकरण के लिए मंदिर ट्रस्ट कुछ नहीं कर सकता। मंदिर ट्रस्ट ने वर्षों पहले जो शौचालय बनाए थे वह भी विवाद के चलते बंद पड़े हुए हैं। मामला कोर्ट में है। मां की पावन पिंडी के लिए पानी की बावड़ी की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
संतों-साधुओं की भूमि किसी की निजी संपत्ति नहीं
पूर्व प्रधान केवल कृष्ण ने बताया कि वर्ष 1977 के करीब लाला जगत नारायण ने तालाब की कार सेवा करवाई थी। तालाब के आसपास हालात बद से बदतर हैं। श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है। आपसी तालमेल से विवाद को समाप्त कर तालाब का सौंदर्यीकरण करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह संतों-साधुओं की भूमि है और ढोल वह जनौड़ी से संबंधित गिरी साधुओं का स्थान है। किसी की निजी संपत्ति नहीं है। उन्होंने बताया कि तालाब पर 55 वर्ष पहले यहां शनिचर गिरी जी रहा करते थे तथा वह प्रति रविवार को भंडारा लगाते थे लेकिन कोई भी संपत्ति का मालिक नहीं हुआ। शिव तालाब गिरी साधुओं का स्थान रहा है।