यहां पेट नहीं सिर्फ नशे के लिए हो रहा ‘जिस्म’ का सौदा
punjabkesari.in Sunday, Apr 08, 2018 - 07:02 PM (IST)

कुल्लू: समाज में देह व्यापार का कारोबार वर्षों से चला आ रहा है। पहले के समय में महिलाएं अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मजबूरी में देह व्यापार के साथ जुड़ जाया करती थीं। उसके बाद एक समय ऐसा भी आया जब मात्र महंगे शौक पूरा करने के लिए महिलाएं जिस्मफिरोशी के धंधे में जुड़ गईं क्योंकि उन्हें रईस लोगों की तरह महंगा मोबाइल फोन, कीमती सूट व महंगी गाड़ियों में घूमने का शौक था लेकिन आज बहुत सी युवतियां ऐसी हैं जो मात्र नशे के लिए ही देह व्यापार के धंधे में उलझ चुकी हैं। खास बात यह है कि देह व्यापार में नशे के लिए जुड़ी युवतियां छोटी उम्र की हैं। ऐसी युवतियों के लिए सिर्फ पैसा ही महत्व रखता है। उन्हें कम से कम 2500 से 3000 रुपए इकट्ठा करने होते हैं और उसके बाद वे सिर्फ सिंथैटिक ड्रग्ज में झूमना चाहती हैं। इन युवतियों के नैटवर्क में कई स्मैक के कारोबारी जुड़े हुए हैं। यह कहीं भी हों लेकिन स्मैक या हैरोइन उपलब्ध हो जाती है।
घाटी में धड़ल्ले से हो रहा स्मैक का कारोबार
कुल्लू घाटी में स्मैक का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। जितनी संख्या में स्मैक के खरीददार हैं उससे स्पष्ट है कि घाटी में प्रतिदिन भारी मात्रा में स्मैक पहुंच रही है जोकि कुल्लू के भुंतर, कुल्लू शहर, मणिकर्ण व मनाली सहित अन्य हिस्सों में पहुंच रही है। इस कारोबार से जुड़े लोग युवा पीढ़ी को मौत की आगोश में भेज कर खूब चांदी कूट रहे हैं। हैरानी यह भी है कि पुलिस स्मैक माफिया तक पहुंचने में नाकाम रही है। हर दिन घाटी में स्मैक पहुंच रही है और तस्कर कभी कभार ही पुलिस के हत्थे चढ़ता है।
अब छोड़ना चाहती हैं नशा
20 वर्षीय एक युवती ने बताया कि उसे व उसकी सहेली को स्मैक के नशे की आदत हो चुकी है। करीब 5 से 6 हजार रुपए प्रति ग्राम स्मैक मिलती है। नशे के बिना वह रह नहीं सकती, पूरे जिस्म में दर्द होती है। एक दिन का नशा पूरा करने के लिए वे देह व्यापार के कारोबार में जुड़ गई हैं। वे नशा छोडऩा चाहती हंै लेकिन वार्ड में युवक ही रहते हैं इसलिए वह केंद्र में जाने से कतराती हैं।
अस्पताल के वार्ड में नशा बेचते हैं कारोबारी
नशा निवारण केंद्र के प्रभारी डा. सत्याव्रत वैद्य ने कहा कि क्षेत्रीय अस्पताल में नशा निवारण केंद्र स्थापित किया गया है लेकिन वार्ड में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। पुरुष तो कहीं भी शौचालय में चले जाते हैं लेकिन महिलाओं के लिए परेशानी होती है इसलिए महिलाओं को मैडीकल वार्ड में भर्ती किया जाता है या फिर उन्हें दवा दी जाती है जिसका इस्तेमाल वे घर मेें ही करते हुए नशा छोड़ सकती हैं। बड़े दुख का विषय है कि इस महंगे व जानलेवा नशे की पूर्ति के लिए कुछ महिलाएं देह व्यापार में शामिल हो गई हैं। यही नहीं, अस्पताल के वार्ड में भी कई बार नशे के कारोबारी नशा बेच कर चले जाते हैं। इसके लिए वह एस.पी. कुल्लू से एक कांस्टेबल की मांग रखेंगे जोकि नशा निवारण केंद्र के बाहर तैनात रहे।
क्या कहती है पुलिस
एस.पी. कुल्लू शालिनी अग्निहोत्री ने कहा कि नशे के विरुद्ध पुलिस लगातार कार्य कर रही है। नशे के कारोबार पर शिकंजा कसने में आम जनता की भी मुख्य भूमिका रहती है। अगर कोई नशे का कारोबार कर रहा है तो उसके बारे में पुलिस को तुरंत सूचना दें ताकि समाज में फैल रहे नशे के जहर को जड़ से उखाड़ फैंका जाए। वहीं डी.सी. कुल्लू यूनुस ने कहा कि नशे के विरुद्ध विशेष मुहिम शुरू की गई है। प्रदेश पूरी तरह से नशा मुक्त हो यही लक्ष्य रखकर कार्य किया जा रहा है। क्षेत्रीय अस्पताल में नशा निवारण केंद्र खोला गया है। महिलाओं के लिए किस प्रकार उचित व्यवस्था की जा सकती है इसके लिए सोमवार को ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी कुल्लू से बात की जाएगी।