यहां अनहोनी टालने के लिए शिवलिंग पर बिजली गिराते हैं मंगलेश्वर महादेव
punjabkesari.in Sunday, Mar 05, 2017 - 10:20 PM (IST)

कुल्लू: सैंकड़ों देवी-देवताओं की भूमि कुल्लू में जब भी हारियान क्षेत्र में भारी प्राकृतिक आपदा सिर उठाने लगती है तो हारियान क्षेत्र के देवी-देवता प्राकृतिक आपदा को रोकने के लिए स्वयं अनहोनी को अपने ऊपर ले लेते हैं लेकिन देवों के देव महादेव तो तीनों लोकों में होने वाली बुरी घटना को अपने ऊपर ले लेते हैं, जिससे जगत के प्राणियों की प्राकृतिक विपदा से रक्षा हो जाती है। ऐसा ही एक साक्षात प्रमाण जिला कुल्लू के भुंतर से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित छियोंर गांव में मंगलेश्वर महादेव के मंदिर में देखने को मिलता है।
शिवलिंग के हो जाते हैं टुकड़े-टुकड़े
माना जाता है कि जब तीनों लोकों में भारी प्राकृतिक आपदा आती है तो मंगलेश्वर महादेव अनहोनी को टालने के लिए अपने ऊपर ही बिजली गिराते हैं, जिससे शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं और बाद में मक्खन से दोबारा जुड़ जाते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इससे न केवल हारियान क्षेत्र में विपदा टलती है बल्कि पूरी दुनिया में भी अनहोनी टल जाती है।
बिना बादल ही गिरती है आसमानी बिजली
कुल्लू के ठीक सामने बिजली महादेव में जहां बारिश के समय ही शिवलिंग पर बिजली गिरती है लेकिन दैवीय चमत्कार के कारण यहां बिना बादल ही आसमानी बिजली गिरती है। इस रहस्य के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है। आमतौर पर शिवलिंग पर 3-4 साल बाद आसमानी बिजली गिरती है। माना जाता है कि मंगली रानी के नाम से ही मंगलेश्वर महादेव पड़ा।
मां के श्राप से शिवलिंग पर गिरती है बिजली
लोगों का यह भी मत है कि शिवलिंग पर आसमानी बिजली का गिरना मां का श्राप है। जनश्रुति के अनुसार बिजली महादेव और मंगलेश्वर महादेव 2 भाई हैं। कहते हैं कि इन दोनों में किसी बात को लेकर आपस में झगड़ा हो गया। जब माता महामाई ने इन दोनों को पानी के लिए पुकारा तो उन्होंने अनसुना कर दिया, जिस कारण माता ने क्रोधित होकर एक को बारिश और दूसरे को साफ आसमान में बिजली गिरने का श्राप दिया है।
पुजारी आंखों पर पट्टी बांध कर जोड़ता है पिंडी
मंगलेश्वर महादेव छियोंर के भंडारी ओम प्रकाश ने बताया कि शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े हो जाने के बाद उसे दोबारा जोडऩे के लिए हारियान क्षेत्र से मक्खन एकत्रित किया जाता है। देवता का पुजारी आंखों पर पट्टी बांध कर पिंडी के एक-एक टुकड़े को मक्खन से जोड़ता है। पिंडी को बांधने के लिए कुल्लू स्थित रघुनाथ जी के मंदिर से मखमली पगड़ी लाई जाती है तथा पिंडी के ऊपर नया किल्टा रखा जाता है। दैवीय चमत्कार से जब पिंडी पूरी तरह से जुड़ जाती है तो किल्टा अपने आप हट जाता है।