जागो सरकार! खंडहर से भी बदतर घर में नारकीय जीवन बिता रहा ये परिवार (Video)

Friday, Jun 28, 2019 - 04:39 PM (IST)

शिमला (सुरेश): हिमाचल प्रदेश में आज भी गरीबी और बेबसी से लोगों का जीना मुहाल है। प्रधानमंत्री मोदी के सपनों के भारत को साकार करने के दावे प्रदेश में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। आज भी विधवा महिलाओं को बेहतर सुविधाएं देने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही दुखियारी महिला की दास्तान सुनाने वाले हैं जो पिछले 15 वर्षों से रोज घुट-घुट कर जीने को विवश है।

जी हां हम बात कर रहे हैं ठियोग के अंतर्गत आने वाली क्यार पंचायत के गांव चलावनी की, जहां पिछले कई सालों से सत्या देवी अपने 4 बच्चों के साथ लाचारी भरा जीवन जीने को मजबूर है। सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित सत्या देवी के पति की मौत को 15 वर्ष हो गए हैं। पति की मौत के बाद सत्या देवी और उसके बच्चों की जिंदगी ने ऐसी करवट बदली कि वे अब एक खंडहर से भी बदतर घर में जिंदगी बिता रहे हैं।

घर की छत दे रही बड़े हादसे को न्यौता

बेहद मुश्किल हालात में जिंदगी बसर कर रही सत्या देवी के घर की छत किसी बड़े हादसे को न्यौता दे रही रही है। ऐसे घर में तो लोग पशुओं को भी नहीं रखते जहां बारिश का पानी सीधा अंदर घुस जाता है, जिससे घर में रखे कपड़े और खाने-पीने का सामान सब भीग जाता है। सत्या देवी को अपने बच्चों का बचाव करने के साथ घर के गिरने का खतरा हर पल बना रहता है। हैरानी की बात यह है कि पंचायत प्रतिनिधि भी इतने वर्षों से इस दुखियारी महिला के लिए कोई प्रयास नहीं कर पाए। मौजूदा पंचायत प्रधान को भी पद पर आसीन हुए 4 साल हो गए है लेकिन आजतक इस महिला की किसी भी प्रकार से मदद नहीं की गई है। प्रशासन और सरकार ने भी इस दुखियारी महिला की सुध लेना गवारा नहीं समझा।

चार फुट के एक छोटे से कमरे में रहती है सत्या देवी

सत्य देवी चार फुट के एक छोटे से कमरे में रहती है। हैरानी होगी कि 4 से 6 फुट के कमरे में खाना-पीना और सोना सब होता है। एक बेटी की शादी उनके रिश्तेदारों ने करवा दी है। घर में 2 और बेटियां और एक बेटा है। सत्या देवी मजदूरी कर उनका पालन-पोषण कर रही है। सत्या देवी की एक बेटी से जब बात की तो उसने सिसक-सिसक कर बताया कि मेरे पापा नहीं हैं, हम बेरोजगार है और हमारी कोई नहीं सुनता। हम 3 बहन-भाई और हमारी मां चार फुट के बने इस जर्जर घर में रहते हैं। कुता भी हमारे साथ सोता है यहीं खाना बनता और यहीं पढ़ाई भी होती है। मौत कब आ जाए इसका कोई भरोसा नहीं। बारिश के दौरान स्कूल की किताबें और वर्दी भीग जाती हैं, ऐसे में कैसे पढ़ाई होगी। कभी मां बीमार हो जाती है और आजकल खुद बीमार होने से दिक्कत ज्यादा हो रही है। अपना दुख-दर्द किसको सुनाएं।

पंचायत प्रतिनिधियों ने बंद कर दिए मोबाइल

बता दें कि क्यार पंचायत के प्रतिनिधि से जब हमने इस बारे में जानने की कोशिश की तो ग्राम पंचायत के कार्यलय में हमे ताले लटके मिले। बताया गया है कि पंचायत प्रधान शिमला की सैर पर है। जैसे ही हमारी टीम के पहुंचने की भनक पंचायत प्रतिनिधियों को मिली तो सबके मोबाइल फोन बंद हो गए। यदि बरसात से पहले सत्या देवी की मदद सरकार ने नहीं की तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।

Vijay