Ex CM वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल के बीच मानहानि मामले पर सुनवाई टली

Wednesday, Jul 10, 2019 - 10:32 PM (IST)

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल के बीच चल रहे मानहानि के मामले में सुनवाई 9 सितम्बर के लिए टल गई। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर दोनों पक्षों में समझौते की गुंजाइश है तो इनसे आशा की जाती है कि वे आपस में कारगर कदम उठाते हुए समझौते की संभावनाओं को तलाशें। मामले पर सुनवाई न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर के समक्ष हुई। कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को अदालत में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे। वीरभद्र सिंह की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वह बीमारी के कारण पी.जी.आई. चंडीगढ़ में भर्ती हैं और उन्हें 2 महीने बैड रैस्ट की सलाह दी गई है। न्यायालय ने इस वक्तव्य के बाद मामले पर सुनवाई 9 सितम्बर के लिए निर्धारित कर दी।

वर्ष 2014 में दायर किया था आपराधिक मानहानि का मामला

मामले के अनुसार वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2014 में अरुण जेतली व प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ  मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शिमला के समक्ष आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। हालांकि वीरभद्र सिंह ने 27 मई, 2014 को अरुण जेतली के खिलाफ  शिकायत को वापस ले लिया था। 26 सितम्बर, 2014 को सी.जे.एम. शिमला ने वीरभद्र सिंह के आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाते हुए प्रेम कुमार धूमल को सम्मन जारी किए थे। धूमल ने इन समनिंग आदेशों को रिवीजन याचिका के माध्यम से सैशन जज शिमला के समक्ष चुनौती दी। सैशन जज शिमला ने सी.जे.एम. के समक्ष दायर शिकायत का सारा रिकॉर्ड मंगवा लिया और धूमल की याचिका पर सैशन कोर्ट से फैसला आना बाकी है।

धूमल ने आवेदन के निपटारे वाले आदेशों को दी है चुनौती

इस बीच वीरभद्र सिंह की ओर से सी.जे.एम. शिमला की अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर 26 सितम्बर, 2014 के आदेशों में लिपिकीय गलती को ठीक करने का आवेदन किया गया, जिसमें गलती से प्रेम कुमार धूमल की जगह अरुण सिंह धूमल लिखा गया था। सी.जे.एम. शिमला ने 20 जून, 2017 को आदेश पारित कर वीरभद्र के गलती सुधार के आवेदन का निपटारे करने के लिए सैशन कोर्ट से मामले का रिकॉर्ड वापस मंगवा लिया। प्रेम कुमार धूमल ने इन्ही आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। 24 अक्तूबर, 2017 को हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। 29 मई, 2019 को कोर्ट ने मामले की विशेषता को देखता हुए दोनों पक्षों में समझौता होने की संभावनाएं तलाशने के लिए कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे।

Vijay