HC ने दागी अफसरों की सूची सौंपने के लिए दिया अतिरिक्त समय

Thursday, Jun 20, 2019 - 11:31 AM (IST)

शिमला (मनोहर): राज्य सरकार ने अपने दागी अधिकारियों की सूची प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष सौंपने के लिए 4 सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा है। मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार के आवेदन को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को अदालत के पिछले आदेशों की अनुपालना करने के लिए 4 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। हाईकोर्ट ने पिछले आदेशों के तहत राज्य सरकार से उन सभी अधिकारियों की सूची तलब की थी, जिनके खिलाफ  उनकी दागी छवि के कारण 1 जनवरी, 2010 के बाद या तो आपराधिक मामले दायर किए गए हैं या उनके खिलाफ  विभागीय जांच लंबित पड़ी है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या उन्होंने इस तरह के किसी अधिकारी को समय से पहले जनहित को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्त किया है या नहीं। 

मुख्य सचिव द्वारा दायर शपथ पत्र का अवलोकन करने के पश्चात यह पाया था कि शपथ पत्र में सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम नहीं दिए गए हैं, जोकि उनकी दागी छवि के कारण विभागीय विजीलैंस या पुलिस जांच का सामना कर रहे हैं। फिलहाल न्यायालय के समक्ष दाखिल की गई सूची के मुताबिक 28 अधिकारियों के खिलाफ  विभागीय कार्रवाई चल रही है, जबकि 16 के खिलाफ  विभिन्न न्यायालयों के समक्ष या तो आपराधिक मामले लंबित पड़े हैं या उन्हें सजा होने के कारण बड़ी अदालतों में अपीलें लंबित पड़ी हैं। न्यायालय ने पहले ही इस तरह के अधिकारियों को संवेदनशील पदों से हटाने बाबत आदेश जारी कर रखे हैं। मामले पर सुनवाई 27 जुलाई को निर्धारित की गई है। 

केंद्र सरकार से मांगा राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए दी गई राशि का ब्यौरा

प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से पूछा है कि हिमाचल लोक निर्माण विभाग को कितनी राशि प्रदेश में आने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की देखरेख व रखरखाव के लिए जारी की है। कोर्ट ने उक्त राशि के खर्चे का ब्यौरा भी मंत्रालय से मांगा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने के तौर-तरीकों की जानकारी भी देने को कहा है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सी.बी. बारोवालिया की खंडपीठ ने राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को यह जानकारी 25 जून तक न्यायालय के समक्ष रखने के आदेश दिए हैं। इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि हिमाचल प्रदेश में 69 नैशनल हाईवे की डी.पी.आर. तैयार करने में अभी तक केंद्र सरकार ने 24 करोड़ रुपए खर्च किए हैं और 163 करोड़ रुपए खर्च किए जाने बाकी हैं।

अदालत को यह भी बताया गया था कि केंद्र सरकार द्वारा नैशनल हाईवे घोषित करने और बनाने हेतु नई पॉलिसी बनाई जा रही है तथा शीघ्र ही नई पॉलिसी के अनुसार ही नैशनल हाईवे बनाए जाएंगे। कोर्ट ने सरकार के इस रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यदि नई नीति के अनुसार ही हिमाचल में नैशनल हाईवे बनाए जाने हैं तो डी.पी.आर. बनाने के लिए व्यर्थ में करोड़ों की राशि क्यों खर्च की गई। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के ध्यान में लाया गया था कि प्रदेश भर में नैशनल हाईवे की मुरम्मत नहीं की जा रही है और एक भी नैशनल हाईवे गाड़ी चलाने लायक नहीं है। इनकी देखरेख व रखरखाव राज्य का लोक निर्माण विभाग करता है और खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिए हैं कि वह हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग को तक उचित फंड मुहैया करवाए। मामले पर आगामी सुनवाई 25 जून को होगी।

Ekta