ऐतिहासिक हाटू मेले की तैयारियां पूर्ण, मंदिर के आसपास नहीं लगेगी कोई दुकान

Saturday, May 18, 2019 - 01:13 PM (IST)

कुमारसैन : जिला शिमला का प्रसिद्ध व ऐतिहासिक हाटू मेला ज्येष्ठ माह के पहले रविवार 19 मई को आयोजित किया जाएगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से मंदिर परिसर व उसके आसपास सफाई व्यवस्था बनाए रखने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि मंदिर के आसपास कोई भी दुकान नहीं लगेगी। मंदिर के नीचे मैदान में दुकानों के लिए जगह का चयन किया गया है, साथ ही पार्किंग की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने लोक निर्माण विभाग से मंदिर की सड़क को दुरुस्त करने, आई.पी.एच. विभाग से पानी की सप्लाई तथा पुलिस प्रशासन से यातायात व्यवस्था सुचारू रखने की अपील की है। गौरतलब है कि ज्येष्ठ माह के पहले रविवार को हाटू में मेले का आयोजन किया जाता है। इसके बाद पूरे एक माह तक दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता रानी के दीदार करने आते हैं।

अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने बनाया था हाटू में माता का मंदिर

शिमला जिला के मशहूर पर्यटन स्थल नारकंडा से करीब 7 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर हाटू माता का ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है, जहां पर हर वर्ष ज्येष्ठ माह के पहले रविवार को मेले का आयोजन किया जाता है। हाटू की वादियां पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती हैं। करीब 11,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित हाटू वैली के सुंदर व दिलकश नजारों का लुत्फ उठाने हर वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक व श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

हाटू पर एक बहुत पुरानी कहावत है कि कश्मीरा रा नजारा दैंदा हाटू हारा यानी हाटू में कश्मीर-सी सुंदरता हर तरफ देखने को मिलती है। हाटू न सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अपना विशेष महत्व रखता है। लगभग 11,000 फुट की ऊंचाई पर मां हाटू का सुंदर मंदिर है। किंवदंती है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने हाटू में कुछ समय व्यतीत किया था। पांडवों ने ही यहां पर मंदिर का निर्माण कर माता की स्थापना की थी। हाटू में भीम का विशाल चूल्हा इसका गवाह है। हाटू में हर वर्ष ज्येष्ठ मास के पहले रविवार को मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से यहां हाटू माता के दर्शनों के लिए आते हैं व मनवांछित फल की कामना करते हैं।

 

हाटू से कुछ ही दूरी पर जौ बाग नाम का एक विशाल तिरछा मैदान है, जहां मैदान के चारों ओर बान के ऊंचे-ऊंचे पेड़ यहां की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। पूरे मैदान में जौ की तरह घास होने के कारण ही यहां का नाम जौ बाग पड़ा। पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां पर मंदिर कमेटी द्वारा सराय का निर्माण भी किया गया है। पर्यटन नगम द्वारा यहां पर एक हट का निर्माण किया गया है। नारकंडा से हाटू के लिए रोप-वे की मांग भी काफी समय से की जा रही है ताकि इस रमणीक स्थल को पर्यटन की दृष्टि से और अधिक विकसित किया जा सके।

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