मालामाल होंगे प्रदेश के लोग: गुच्छी, नागछतरी, पतीश बनेगी आय का साधन (Video)

Thursday, Sep 12, 2019 - 03:01 PM (IST)

शिमला (योगराज): हिमालय की गोद में बसे होने की वजह से हिमाचल प्रदेश में जड़ी बूटियों और परम्पराग फसलों का भंडार है जिसका बाहरी लोग गैर कानूनी तरीके से दोहन कर भारी मुनाफा कमा रहे हैं। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों को जानकारी के अभाव में इसका फायदा नहीं हो रहा है। प्रदेश की पारंपरिक फसलों और लुप्त होते औषधीय पौधों के संरक्षण के मकसद से हिमाचल प्रदेश जैव विविधता बोर्ड ने प्रदेश में पंचायत स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों के गठन कर गांव के लोगों को जागरूक करने की योजना बनाई है। जिसके लिए जिला पंचायत अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों को जैव विविधता अधिनियम, 2002 और नियमों 2004 को लेकर शिमला में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। 

हिमाचल प्रदेश जैव विविधता बोर्ड के संयुक्त सदस्य सचिव निशांत ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में औषधीय पौधों का भंडार है, लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। बाहरी लोग इन पौधों का गैर कानूनी तरीके से दोहन कर रहे हैं जबकि ग्रामीणों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। प्रदेश में कोदा, गुच्छी, नागछतरी, पतीश, कुठ, हरड़बेडा, अश्वगंधा जैसी बेशकीमती जड़ी-बूटियां धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। बोर्ड ने अब इन औषधीय पौधों और फसलों के संरक्षण और स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार देने के मकसद से लोगों को जागरूक करने की योजना तैयार की है।

निशांत ठाकुर ने बताया कि ग्राम स्तर पर 753 बीएमसी का गठन चम्बा, कुल्लू, मंडी, शिमला व सिरमौर जिलों में किया जा चुका है। अगले एक माह तक राज्य की सभी पंचायतों में इसके गठन का लक्ष्य रखा गया है। जैव विविधता बोर्ड ने 1 महीने के अंदर प्रदेश में 100 फीसदी बीएमसी के गठन का लक्ष्य रखा है, जिसमें पंचायत के 7 सदस्य होंगे और 2 महिला सदस्यों का होना भी अनिवार्य बनाया गया है जो इन फसलों व जड़ी बूटियों को बचाने का काम करेंगे।

Ekta