पर्यावरण संरक्षण के लिए संरक्षित व संतुलित विकास जरूरी : राज्यपाल

punjabkesari.in Sunday, Jun 04, 2023 - 05:19 PM (IST)

राज्यपाल ने किया उत्तर क्षेत्र पर्यावरण कार्यशाला का शुभारंभ, एनआईटी परिसर में रोपा आंवले का पौधा
हमीरपुर (ब्यूरो):
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आज संरक्षित व संतुलित विकास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम देशों के मुकाबले आज भारत सबसे कम कार्बन उत्सर्जन कर रहा है। पश्चिम देशों में आज पर्यावरण इतना असंतुलित है कि उसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। रविवार को राज्यपाल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर में उत्तर क्षेत्र पर्यावरण कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम आरोग्य भारती हिमाचल प्रदेश तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पर्यावरण संरक्षण हमारी प्रतिबद्धता है, मजबूरी नहीं है। हमारी संस्कृति में पेड़-पौधों का धार्मिक महत्व है और हम उनकी पूजा करते हैं। राजभवन में भी उन्होंने तुलसी के पौधे लगाकर पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यावरण की अच्छी स्थिति है और वन कटान पर भी प्रतिबंध है लेकिन हमेें अपने हरित आवरण को संरक्षित करने की आवश्यकता है। 
PunjabKesari

रसायन मुक्त कृषि को अपनाना होगा और मोटे अनाज की ओर लौटना पड़ेगा
राज्यपाल ने कहा कि स्वस्थ जीवन के हमें रसायन मुक्त कृषि को अपनाना होगा और मोटे अनाज की ओर लौटना पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन आज वैश्विक चिंता का विषय बनकर उभरा है, जो हमें सीधे तौर पर प्रभावित भी करता है। उत्तरी क्षेत्र में तेजी से बढ़ते शहरीकरण, औद्योगीकरण, जनसंख्या वृद्धि और अनियंत्रित मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण संतुलन पर व्यापक असर पड़ रहा है। सबसे बड़ी चिंता वायु प्रदूषण ही हो गई है। औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन प्रदूषण और कृषि पद्धतियां इस समस्या का महत्वपूर्ण कारण बन रही हैं। इसके लिए उन्होंने सतत् विकास को बढ़ावा देना, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने, वायु प्रदूषण से निपटने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कड़े नियमों की वकालत की। 

पानी की कमी है महत्वपूर्ण मुद्दा
राज्यपाल ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पानी की कमी एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। उत्तर क्षेत्र की प्रमुख नदियों के जल स्रोत प्रदूषण, अति प्रयोग और अतिक्रमण से खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन, अपशिष्ट जल उपचार और सामुदायिक जागरूकता अभियान भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय कर सकते हैं। उन्होंने उत्तरी क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को भी सुरक्षित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के आवासों के संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा वनों की कटाई, अवैध वन्य जीव व्यापार और आवास विनाश जैसी गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए खतरा
राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए आने वाला खतरा है। हिमालयी क्षेत्र विशेष रूप से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के प्रति संवेदनशील है। इसलिए जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने, स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने और ग्रीनहाऊस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का समर्थन करने की आवश्यकता है। बदलती जलवायु के सामने अनुकूलन रणनीतियों को विकसित करना और लचीलापन बनाना महत्वपूर्ण है। अपने सामूहिक प्रयासों से हम आने वाली पीढिय़ों के लिए एक हरित, स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। इससे पहले राज्यपाल ने एनआईटी परिसर में आंवला का पौधा भी रोपा।

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Recommended News

Related News