Himachal: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया भारत के पहले तन्त्रकुल का शुभारंभ
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 09:52 PM (IST)

देहरा (सेठी): उपमंडल देहरा के रक्कड़ स्थित स्वस्थानी माता मंदिर में भारत के पहले “तन्त्रकुल” का विधिवत शुभारंभ हुआ। इस अवसर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बतौर मुख्यातिथि पहुंचे। मां स्वस्थानी के दर्शन कर विधि-विधान पूजा अर्चना की और मंदिर प्रांगण में आंवले का पौधा लगाया। इस मौके पर देहरा की विधायक कमलेश ठाकुर, जसवां-प्रागपुर के कांग्रेस नेता कामगार कल्याण बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष सुरिंदर मनकोटिया, जसवां परागपुर विधायक बिक्रम सिंह ठाकुर भी उपस्थित रहे। मंदिर मंत्रोच्चारण, शंखध्वनि ओर भक्तों के जयकारों से गूंज उठा।
रक्कड़ स्थित माता स्वस्थानी मंदिर में “तन्त्रकुल” केंद्र वेद-वेदांग और तंत्र विद्या की राष्ट्रव्यापी परियोजना का पहला राष्ट्रीय केंद्र बना है। इस आयोजन के संयोजक साकेत कुमार मिश्र और मंदिर प्रबंधक एडवोकेट विनोद शर्मा ने बताया कि इसका उद्देश्य वेदादि शास्त्रों की शिक्षा देना, मंत्रों में दीक्षित सिद्ध-साधक तैयार करना और अनुष्ठानों के लिए पूर्ण ओर सही प्रशिक्षण देना है।
कार्यक्रम के दौरान मंदिर में मां कामाख्या से जुड़े 40 से अधिक साधकों ने पूजा-अनुष्ठान संपन्न करवाए। ओर सत चंडी पाठ, रुद्री, गणेश पूजन और काली विद्या से संबंधित विशेष साधनाएं भी यहां करवाई जाएंगी। हिमालय और पहाड़ी क्षेत्रों से आए तंत्र साधना में सिद्ध साधकों ने भाग लेकर कार्यक्रम को विशेष बना दिया।
कार्यक्रम के सह संयोजक आशुतोष भट्ट और हेमंत शर्मा ने बताया कि इस केंद्र के माध्यम से देशभर के युवा वास्तविक साधना पद्धतियां सीख सकेंगे और स्वस्थानी माता मंदिर को राष्ट्रीय तंत्र साधना और वेदांग शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में यह पहल महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी।
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में इस आयोजन को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिला। मंदिर प्रबंधन समिति ने बताया कि उद्घाटन समारोह को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई थीं और आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के भी कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है।
आसपास के क्षेत्र के लोगों ने मंदिर कमेटी के इस प्रयास की सराहना की है। वह बोले कि “तन्त्रकुल” का शुभारंभ देहरा जसवां परागपुर की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करेगा। इससे क्षेत्र में आध्यात्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं लोगों का भी धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में रुचि बढ़ेगी।