KCC बैंक में भ्रष्टाचार मामले में सरकार का बड़ा कदम, विजीलैंस जांच से जल्द उठेगा पर्दा

punjabkesari.in Wednesday, Aug 08, 2018 - 12:45 PM (IST)

शिमला (कुलदीप): प्रदेश के 3 सहकारी बैंकों कांगड़ा सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक (के.सी.सी.बी.), हिमाचल प्रदेश राज्य को-ऑप्रेटिव बैंक और जोगिंद्रा बैंक की जांच से जल्द पर्दा उठेगा। पूर्व सरकार के समय तीनों बैंकों में हुई भर्ती, ऋण देने, विदेश यात्रा और एन.पी.ए. बढ़ने जैसे मामले जांच के दायरे में हैं। सहकारिता मंत्री डा. राजीव सहजल ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में बताया कि जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। आरोप है कि के.सी.सी.बी. के 3,600 करोड़ रुपए के ऋण के विपरीत 584 करोड़ रुपए एन.पी.ए. है, जो 15 फीसदी बनता है। यह एन.पी.ए. 20 से 25 फीसदी हो सकता है। 

उल्लेखनीय है कि गत 3 सालों में कांगड़ा सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक की तरफ से 4 विदेश यात्राएं की गईं। इनके तहत अध्यक्ष ने 4 अगस्त, 2015 से 12 अगस्त, 2015 तक वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान पुणे की तरफ से आयोजित सहकारी बैंकों के अध्यक्षों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए यू.के. की यात्रा की। 13 जून, 2016 से 16 जून, 2016 तक वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान पुणे की तरफ से आयोजित एक उदार और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सहकारिता पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए श्रीलंका की यात्रा की। 

24 जून, 2017 से 26 जून, 2017 तक ग्लोबल इन्फार्मैट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा टी.बी.सी. पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पट्टाया थाईलैंड में भाग लिया तथा 22 सितम्बर, 2017 से 25 सितम्बर, 2017 तक डी.एच.ई.एल. प्रामेरिका द्वारा ग्रामीण सहकारी बैंकों का समावेश सम्मेलन के लिए मॉस्को रूस का भ्रमण किया। गत 3 सालों के दौरान के.बी.सी. के अध्यक्ष के उपयोग के लिए 2 नए वाहन खरीदे गए, साथ ही इनके रखरखाव पर बड़ी रकम खर्च की गई। कांगड़ा बैंक की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश को-ऑप्रेटिव बैंक और जोगिंद्रा बैंक में हुई भर्तियां एवं ऋण देने का मामला भी सुर्खियों में है।
 


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