Himachal में प्लास्टिक सर्जन तैनात नहीं कर पाई सरकार, PGI रैफर हो रहे मरीज

Monday, Feb 04, 2019 - 09:34 AM (IST)

शिमला : सरकार भले ही हिमाचल में मैडीकल कालेज खोलकर अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है। हैरानी की बात तो यह है कि प्रदेश में सरकार ने कुल 6 मैडीकल कालेज खोले हैं, एक भी कालेज में प्लास्टिक सर्जन नहीं है। सोचने का विषय है कि सरकार के पास जब चिकित्सक नहीं है तो फिर कालेज को क्यों खोला जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आई.जी.एम.सी. की अगर बात की जाए तो यहां पर भी प्लास्टिक सर्जरी नहीं होती है। जब कोई गंभीर मरीज अस्पताल में आता है तो उसी समय आई.जी.एम.सी. में तैनात डाक्टर स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि यहां पर प्लास्टिक सर्जरी नहीं होती है। मरीज को चंडीगढ़ ले जाओ।

इस तरह का उदाहरण बीते तीन दिन पहले आई.जी.एम.सी. में देखने को मिला। जब सिरमौर शिलाई से अंगूठा कटने के चलते 11 साल का एक बज्जा आई.जी.एम.सी. लाया गया तो उसे चिकित्सकों ने उसी समय पी.जी.आई. भेज दिया। चिकित्सक ने बज्जे के परिजनों से कहा कि अगर नॉर्मल सर्जरी करनी है तो आई.जी.एम.सी. में हो जाएगी पर हम नॉर्मल सर्जरी करने में अंगूठे के ठीक करने की कोई गारंटी नहीं देते हैं। ऐसे में बज्जे के परिजनों को मजबूरन बज्जा पी.जी.आई. ले जाना पड़ा। किसी को यह पता नहीं था कि आई.जी.एम.सी. में प्लास्टिक सर्जरी नहीं होती है इसका खुलासा तभी हो पाया जब बज्जे को पी.जी.आई. चंडीगढ़ भेजा गया। इससे पहले डाक्टर बिना कुछ बताए ही सीधे मरीजों को पी.जी.आई. रैफर कर देते थे। आई.जी.एम.सी. में पहले एक प्लास्टिक सर्जन था लेकिन वह सितम्बर माह में सेवानिवृत्त हो गया है। 6 माह के बाद से कोई भी डाक्टर यहां पर तैनात नहीं किया गया है। प्रदेश सरकार के लिए यह एक शर्म की बात है कि सबसे बड़े अस्पताल में एक प्लास्टिक सर्जन तैनात नहीं कर पा रही है।

नहीं बना लेवल वन ट्रामा सैंटर

आई.जी.एम.सी. में लेवल वन ट्रामा सैंटर खोलने को लेकर सरकार एक से बढ़कर एक दावा कर रही है लेकिन अभी तक ट्रामा सैंटर स्थापित नहीं हो पाया है। शिमला में सरकार ने कई जगह पर लेवल वन ट्रामा सैंटर खोलने की योजना बनाई है। बाद में यह निर्णय लिया गया कि आई.जी.एम.सी. में ही स्थापित किया जाएगा। दावा है कि आई.जी.एम.सी. में बन रहे नए भवन में ट्रामा सैंटर स्थापित किया जाएगा। यहां पर सोचने का विषय तो यह है कि अगर यह ट्रामा सैंटर खुल भी जाता है तो चिकित्सक कहां से उपलब्ध किए जाएंगे। ट्रामा सैंटर में तो प्लास्टिक सर्जन का होना अति आवश्यक है।

प्रदेश में होते हैं ज्यादा सड़क हादसे

हिमाचल प्रदेश में हर वर्ष सड़क हादसे होते हैं। हादसे के दौरान अगर किसी की हड्डी टूट गई तो प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत भी पड़ जाती है। जब भी ऐसे मामले आते हैं तो प्लास्टिक सर्जरी के लिए मरीजों को पी.जी.आई. भेजा जाता है।

पी.जी.आई. में नहीं चलता यूनिवर्सल हैल्थ स्कीम कार्ड

पी.जी.आई. में यूनिवर्सल हैल्थ स्कीम कार्ड भी नहीं चलाया जाता है, वहां पर सिर्फ आयुष्मान योजना के तहत बनाए जाने वाले कार्ड ही चल पा रहे हैं। जब मरीज पी.जी.आई. में पूछते हैं कि ऑप्रेशन के दौरान यह यूूनिवर्सल हैल्थ स्कीम कार्ड चलेगी या नहीं। अधिकारी द्वारा तुरंत प्रभाव से मना किया जाता है। ऐसे में ऑपरेशन करवाने के लिए मरीजों को हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
 

kirti