Himachal: आईजीएमसी शिमला में स्क्रब टाइफस से पहली मौत, 7 मामले पॉजिटिव

punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 07:37 PM (IST)

शिमला (संतोष): हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित आईजीएमसी अस्पताल में स्क्रब टाइफस से पहली मौत हुई है। 34 वर्षीय महिला को सिविल अस्पताल रोहड़ू से सैप्सिस व सैप्टिक शॉक के कारण रैफर किया गया था और इसकी मृत्यु का कारण यही है और यह स्क्रब टाइफस पॉजिटिव पाई गई। आईजीएमसी शिमला में स्क्रब टायफस से यह मौत बताई गई है और अभी तक स्क्रब टायफस के 7 मामले पॉजिटिव पाए और एक महिला की मौत हो गई है। यह महिला मेडिकल इंटैंसिव केयर यूनिट (एमआईसीयू) में उपचाराधीन थी और सैप्सिस व सैप्टिक शॉक के साथ स्क्रब टाइफस से पीड़ित थी, जिसकी स्क्रब टाइफस पॉजिटिव की रिपोर्ट शनिवार को आई थी और रविवार करीब 3 बजे इस महिला ने दम तोड़ दिया।

बता दें कि सैप्सिस और सैप्टिक शॉक दोनों ही गंभीर चिकित्सा स्थितियां हैं, जो संक्रमण के कारण होती हैं। सैप्सिस शरीर की संक्रमण के प्रति असामान्य प्रतिक्रिया है, जो अंगों को नुक्सान पहुंचा सकती है। सैप्टिक शॉक सैप्सिस का सबसे गंभीर रूप है, जिसमें रक्तचाप बहुत कम हो जाता है, जिससे अंगों को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता है और यह जानलेवा हो सकता है। इसके साथ ही महिला स्क्रब टाइफस पॉजिटिव पाई गई है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में 15 जून से 15 अक्तूबर तक बरसात का मौसम रहता है। इस दौरान किसानों को अपने खेत में भी काम पर जाना पड़ता है, अगर इस दौरान किसान सावधानी से काम नहीं करेंगे तो जानलेवा बीमारी स्क्रब टायफस से ग्रस्त हो जाएंगे।

डाॅक्टरों के अनुसार स्क्रब टाइफस जिसे बुश टाइफस भी कहा जाता है, एक संक्रामक बीमारी है। यह बीमारी ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। चिगर के काटने के बाद 10-12 दिनों के भीतर लक्षण दिखाई देने लगते है। लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द आदि शामिल है। समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। इस दौरान मरीज को तेज बुखार होता है, जोकि 104 से 105 डिग्री तक जा सकता है। ऐसे में लोग साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें। घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें।


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Vijay

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