महंगे पानी ने आम जनता की बढ़ाई मुश्किलें, एक साथ चुकाना पड़ रहा लाखों रुपए का बिल

Sunday, Sep 15, 2019 - 02:42 PM (IST)

शिमला (वंदना): नगर निगम परिधि में सम्मिलित वार्डों में महंगे पानी ने आम जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। शिमला जल प्रबंधन कंपनी उपभोक्ताओं को एक साथ 6 से 7 महीनों का पानी बिल थमा रही है, जिससे उपभोक्ताओं को एक साथ लाखों रुपए का बिल चुकाना पड़ रहा है। बिल देख आम जनता के होश उड़ गए हैं, ऐसे में जनता की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दरअसल मर्ज वार्डों में भवनों के नक्शे पास नहीं होने के कारण यहां की जनता को घरेलू प्रयोग का पानी कमर्शियल दरों पर मिल रहा है, जबकि शहर के पुराने वार्डों में घरेलू कनैक्शन के उपभोक्ताओं को पानी का बिल घरेलू दरों पर ही मिल रहा है। मर्ज वार्डों में करीब 70 प्रतिशत भवन अनियमित हैं, जो अब तक रैगुलर नहीं हो पाए हैं क्योंंकि एम.सी. में शामिल होने से पहले ये वार्ड पंचायत क्षेत्र में आते थे। यहां पर जो मकान बने हैं, वे बिना नक्शे के बनाए गए हैं, ऐसे में नक्शा पास नहीं होने के कारण यहां की जनता को महंगे दामों पर पानी मिल रहा है, जिससे लोगों पर आर्थिक बोझ पड़ गया है। ऊपर से हर साल पानी की दरों में 10 प्रतिशत की बढ़ौतरी ने जनता की कमर तोड़कर कर रख दी है। 

20 से 22 रुपए प्रति हजार लीटर स्लैब रेट की मांग

नगर निगम में मर्ज किए गए वार्डों में घरेलू पानी के स्लैब को पार्षद 20 से 22 रुपए प्रति 1,000 लीटर करने की मांग कर रहे हैं, जबकि 20,000 लीटर से ऊपर के स्लैब को पहले से मौजूद व सम्मिलित वार्डों में एक समान करना चाहिए। इसको लेकर मर्ज क्षेत्रों के पार्षदों ने कंपनी के प्रबंधन निदेशक को मांग पत्र भी सौंपा था। मौजूदा समय में नगर निगम के पुराने क्षेत्रों में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पानी की दरें अप्रैल, 2019 से 10 प्रतिशत बढ़ौतरी के साथ 16.50 रुपए प्रति 1,000 लीटर हैं जबकि सम्मिलित वार्डों में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पानी की दरें अप्रैल, 2019 से 10 प्रतिशत बढ़ौतरी के साथ 50 रुपए प्रति 1,000 लीटर से शुरू होती हैं, जो बहुत अधिक है। 

बी.ओ.डी. की बैठक पर टिकी नजरें 

शिमला जल प्रबंधन कंपनी की बी.ओ.डी. की बैठक 25 सितम्बर को बुलाई गई है, ऐसे में पार्षदों की नजरें अब बी.ओ.डी. पर टिकी हैं। पार्षदों का कहना है कि शिमला जल प्रबंधन कंपनी की बैठक में मर्ज क्षेत्रों में पानी के रेट कम करने को लेकर फैसला लिया जाना है। यदि बैठक में कोई सकारात्मक फैसला नहीं होता है तो पार्षद सड़क पर उतर पर आंदोलन करेंगे। नगर निगम प्रशासन व कंपनी के साथ लगातार पानी के रेट में कटौती करने को लेकर बैठकें की गई हैं लेकिन अब तक जनता को राहत नहीं मिल पाई है, ऐसे में यदि बी.ओ.डी. में फैसला जनता के हित में नहीं आता है तो पार्षद सरकार व एम.सी. के खिलाफ उग्र आंदोलन करेंगे। 

Ekta