वन रैंक वन पैंशन को लेकर चम्बा में गरजे पूर्व सैनिक
punjabkesari.in Monday, Apr 03, 2023 - 04:13 PM (IST)

चम्बा (रणवीर): जवानों के साथ केंद्र सरकार द्वारा किए गए अन्याय के खिलाफ जंग जारी रहेगी। वन रैंक वन पैंशन में जवानों के साथ धोखा किया है, जिसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। यह बात चम्बा में जंतर मंतर पर चल रहे अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन का समर्थन करते हुए साबका सैनिक संघर्ष समिति के बैनर तले पूर्व सैनिकों ने प्रदर्शन के दौरान कही। इस मौके पर उन्होंने डीसी चम्बा के माध्यम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन प्रेषित किया। रैली के दौरान सेना से सेवानिवृत्त एवं पूर्व विधायक भटियात विक्रम जरियाल भी मौजूद रहे। इस मौके पर पदाधिकारियों ने बताया कि मांगों को लेकर जंतर मंतर में 20 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन जारी है। समर्थन देने और केंद्र सरकार को जवानों की न्याय देने संबंधी मांग पत्र कई बार सौंपा गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद जवानों को मजबूरी में विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों की यूनियन लंबे समय से संर्घषरत है। देश आजाद होने से लेकर अभी तक जवानों के साथ लगातार भेदभाव और अन्याय होता आ रहा है, जबकि जवान अपनी जान की परवाह न करते हुए देश की रक्षा करते हैं। 23 दिसम्बर, 2022 को वन रैंक वन पैशन को लागू करने के बारे में जानकारी दी गई थी जिसमें बताया गया था कि 1 जुलाई, 2014 से पूर्व प्री मैच्योर रिटायरमैंट आए जवानों को वन रैंक वन पैंशन का लाभ नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जवान कभी प्री मैच्योर रिटायरमैंट नहीं होते हैं क्योंकि उनका एग्रीमैंट 15 प्लस 2 साल का होता है जबकि उच्च अधिकारियों का एग्रीमैंट 58 साल का होता है। रैली का मुख्य लक्ष्य सैनिकों की पैंशन में हो रहे भेदभाव को सरकार तक पहुंचाना है। वन रैंक वन पैंशन पर सिर्फ जवानों का हक बनता है, इसका पूरा लाभ जवानों को मिलना चाहिए। मिल्ट्री सर्विस पे, डिसएबिलिटी पैंशन, अलाऊंस सभी रैंक का एक समान किया जाए। जवानों की विधवा पैंशन को 50 प्रतिशत किया जाए। सीएसडी, ईसीएचएस की सुविधा को सभी रैंक के लिए एक सम्मान किया जाए। सेना में चल रही अंग्रेजों की अर्दली प्रथा को बंद किया जाए।
उन्होंने कहा कि वह किसी पार्टी से कोई संबध नहीं रखते हैं लेकिन देश आजाद होने के बाद आज भी किसी भी राजनीतिक पार्टी ने सैनिकों के लिए कुछ नहीं किया है। सेना के पूर्व अधिकारी जवानों की भीड़ दिखाकर केंद्र सरकार से सिर्फ अधिकारी वर्ग के लिए मांगें मनवा जाते हैं। वन रैंक वन पैंशन में जवानों के साथ धोखा किया गया है। उन्होंने कहा कि आजाद भारत में गुलामों वाले कानून बदले जाएं। देश में जहां 1957 वाला कानून लागू है, वहीं सेना में अभी भी 1924 का ब्रिटिश रूल लागू है, जिसकी वजह से जवानों का शोषण होता है और जवान आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाता है। पूर्व सैनिकों ने कहा कि 2014 में पूर्व सैनिकों ने बड़ी उम्मीद के साथ मोदी सरकार को वोट दिया था। मोदी ने कहा था कि जवानों के अच्छे दिन आने वाले हैं। लेकिन हुआ इसके उलट। जिस सेना के जवान ने खामियां बताईं उसे ही सेना से बाहर कर दिया गया।
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