माता टौणीदेवी मंदिर में ऐसे पूरी होती है हर मुराद, चौहान वंश की हैं कुलदेवी
punjabkesari.in Friday, Apr 01, 2022 - 05:32 PM (IST)

हमीरपुर (राजीव): चौहान वंश की कुलदेवी माता टौणी देवी का मंदिर करीब 350 वर्ष पुराना है तथा आज भी यहां पर पत्थर टकराने से ही हर मुराद पूरी होती है। बता दें कि करीब 350 साल पहले जब दिल्ली पर मुगलों का अधिपत्य हो गया तो उन्होंने राजपूतों की मां-बहनों पर अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया। मुगल राजपूतों के जनेऊ उतार कर धर्म परिवर्तन करवाने लगे तो चौहान वंश के 12 भाइयों ने टौणीदेवी के इस पहाड़ी दुर्गम क्षेत्र में शरण ली थी ताकि अपने धर्म व परिजनों की रक्षा कर सकें। उनके साथ उनकी बहन भी थी, जिसे सुनाई नहीं देता था। परिवार के मुखिया ने बाकर-कुनाह व पुंग खड्ड के केंद्र पर भवन की योजना बनाई मगर जिस स्थान पर आधारशिला रखी गई वहां पर खून की धारा निकलने लगी और इसे देख कर सभी अचंभित हो गए।
माता ने इस स्थान पर की थी घोर तपस्या
परिवार के सदस्यों ने कुल पुरोहित से इस बारे में सलाह ली तो कुल पुरोहित ने इसके लिए घर की कुंवारी कन्या को दोषी बताया। वहीं घर की महिलाओं ने माता टौणीदेवी पर आरोप लगाए, जिस पर क्षुब्ध माता ने इस स्थान पर घोर तपस्या की और आषाढ़ मास के 10 प्रविष्टे को अंतर्ध्यान हो गई। उसी की याद में उसके भाइयों ने यहां छोटे से मंदिर की स्थापना की जो कि आज भव्य रूप धारण कर चुका है। माता की याद में यहां हर वर्ष मेले का आयोजन होता है तथा नवरात्र में भी श्रद्धालु दूर-दूर से यहां माता के दर्शनों को पहुंचते हैं। बता दे कि माता टौणी देवी को सुनाई नहीं देता था इसलिए जब भी कोई मन्नत मांगता है तो वहां रखे पत्थरों को आपस में टकराता है और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
कई राज्यों से दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु
चौहान वंश की कुलदेवी माता टौणीदेवी के दरबार में नवरात्रों में पंजाब हरियाणा, दिल्ली, राज्यस्थान, जम्मू कश्मीर व उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से भी चौहान वंश के लोग माता के दर्शन करने आते हैं। वही मंदिर कमेटी के प्रधान सरवन चौहान ने बताया कि टौणी देवी का मंदिर 350 वर्ष पुराना है और यह चौहान वंश की कुल देवी है। यहां पर नवरात्रों में दूर-दूर से श्रद्धालु माथा टेकने के लिए आते हैं। यहां पर आने से हर आदमी की मनोकामना पूर्ण होती है। यहां पर कई वर्ष से कमेटी काम कर रही है। श्रद्धालुओं को रहने के लिए हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इस बार 2 बर्ष बाद कोरोना काल के बाद मंदिर में नवरात्रों में माता के खुले दर्शन होंगे तथा 8 अप्रैल को भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा।
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