''घोटाले में फंसी कंपनी पर जानिए क्यों मेहरबान है जयराम सरकार''

Thursday, Sep 26, 2019 - 05:24 PM (IST)

शिमला: सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि 6,000 करोड़ रुपए के कर-कर्ज घोटाले में फंसी इंडियन टेक्नोमेक कंपनी पर प्रदेश सरकार का पूरी तरह मेहरबान होना यह साबित करता है कि दाल में कुछ काला जरूर है। उन्होंने कहा कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि उक्त कंपनी पर शिकंजा कसने की बजाए उसे फायदा पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार हर हथकंडा अपना रही है। राणा ने कहा कंपनी को सरकार की से मिलने से भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस का सरकार का दावा भी तार-तार हो रहा है। तंज कसते हुए राजेंद्र राणा ने कहा कि जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। 

राणा ने गुरुवार को यहां जारी प्रेस बयान में सवाल उठाया कि कंपनी पर सरकार की मेहरबानी इस बात से झलकती है कि पहले इस मामले की शुरू से जांच कर रहे उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्राधिकृत अधिकारी का तबादला कर दिया। अब कंपनी के मामले की पेरवी कर चुके अधिवक्ता को सरकार का एडिशनल एडवोकेट बनाकर अब सरकार की ओर से पैरवी करवाई जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सारा ड्रामा एक साजिश के तहत मामले को कमजोर करने के लिए रचा गया है और सरकार को इस बारे जनता के सामने स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। 

राजेंद्र राणा ने कहा कि वर्ष 2009 से 2014 की अवधि के बीच प्रदेश आबकारी कराधान विभाग ने उक्त कंपनी द्वारा किए 2,100 करोड़ की टैक्स चोरी का गोलमाल पकड़ा था, जिस पर कंपनी ने माननीय सुप्रीम कोर्ट से लेकर उच्च न्यायालय में रिलीफ पाने के लिए अपील दायर की जोकि खारिज कर दी गई। जब कंपनी पर मामला दर्ज हुआ तो कंपनी की ओर से नियुक्त अधिवक्ता अजय वैद्य थे जोकि अब सरकार द्वारा एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त किए गए हैं। कंपनी पर 2175 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी के साथ 3,000 करोड़ रुपए की बैंकों की देनदारियां हैं। इसी तरह आयकर का साढ़े 7 सौ करोड़, लेबर व कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड व विद्युत बोर्ड का 10-10 करोड़ रुपए बकाया है। उन्होंने कहा कि इतने बड़े घपले में फंसी कंपनी की प्रपर्टी की अगस्त, 2016 में नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई थी तथा अगस्त, 2019 में नीलामी के आदेश हुए तथा 19 सितम्बर, 2019 को नीलामी होनी थी। ईडी (प्रर्वतन निदेशालय) ने कंपनी की सारी प्राॅपर्टी के प्रोविशनल अटेचमेंट आर्डर भी कर दिए। 

ईडी के आदेशों को चैलेंज करते हुए 9 सितम्बर को आबकारी कराधान विभाग की ओर से स्टे करवाने को आवेदन किया गया है, जिसकी सरकार की ओर से कंपनी के अधिवक्ता रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल कर रहे हैं। उन्होंने हैरानी जताई कि इतने संगीन मामले का भी सरकार ने मजाक बना दिया है जिसमें सरकार की मिलीभगती से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि करोड़ों के कर्ज में डूबे प्रदेश की सरकार की आखिर मामले को कमजोर कर किसे फायदा पहुंचाने की मंशा है। इस मामले में 20 के करीब अधिकारी सलाखों के पीछे हैं तो कई अधिकारी जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना करते हुए प्राधिकृत अधिकारी से ही जांच करवाने के साथ एडिशनल एडवोकेट जनरल को भी बदला जाना चाहिए ताकि मामले की निष्पक्ष जांच व पैरवी हो।

Ekta