हिमाचल की बिजली को फिर मिले अच्छे दाम, जानिए अब तक कितने करोड़ की हुई कमाई

Thursday, Sep 26, 2019 - 11:24 PM (IST)

शिमला: हिमाचल की बिजली को बाजार में फिर अच्छे दाम मिलने लगे हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में गत 19 सितम्बर तक राज्य की तरफ से 678 करोड़ रुपए की कमाई बिजली बेचकर हुई है। राज्य में वर्ष, 2012-13, 2013-14 और 2014-15 तक 3.25 प्रति यूनिट की औसतन दर के अनुसार सिर्फ 2403.07 करोड़ रुपए की बिजली बेची गई। यही स्थिति वर्ष, 2015-16 के दौरान भी रही। इसके बाद वर्ष, 2016-17 के दौरान 643 करोड़ रुपए, वर्ष 2017-18 के दौरान 872 करोड़ रुपए और वर्ष 2018-19 के दौरान 1,212 करोड़ रुपए कमाई बिजली से हुई यानि गत वर्ष से पहले हिमाचल प्रदेश की बिजली के बेहतर दाम नहीं मिल पा रहे थे लेकिन वर्ष 2018-19 के बाद फिर से अच्छे दाम मिले, जिससे सालाना 1,000 करोड़ रुपए से 1,200 करोड़ रुपए तक का मुनाफा होने की उम्मीद जगी है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक गत 19 सितम्बर तक 678 करोड़ रुपए की बिजली बेची जा चुकी है तथा ऐसी उम्मीद है कि मार्च, 2020 तक 1,200 करोड़ रुपए तक बिजली बेचकर मुनाफा कमा लिया जाएगा।

कैसे बेची जाती है सरप्लस बिजली

प्रदेश को पॉवर प्रोजैक्टों के तहत हिस्सेदारी और रॉयल्टी के आधार पर मिलने वाली सरप्लस बिजली को बेचा जाता है। इसके लिए एक फार्मूला तय है। इसके अनुसार पूरे देश में पॉवर एक्सचेंज से बिजली को बेचा जाता है। यह एक ट्रेडिंग प्लेटफार्म है, जहां पर मार्कीट रेट के आधार पर बिजली की दरें तय की जाती हैं। इस तरह पहले यह तय किया जा सकता है कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड की तरफ से कैसे अपने घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को 24 गुणा 7 योजना के तहत बिजली की मांग को पूरा किया जाए। इस मांग को पूर्ण करने के बाद शेष बिजली का विक्रय सरकार की तरफ से चयनित विद्युत ट्रेडर पीटीसी इंडिया लिमिटेड व टाटा पावर ट्रेडिंग कम्पनी के माध्यम से खुले बाजार में पूरे वर्ष के लिए किया जाता है। यह बिजली अल्प/मध्यम/दीर्घकालीन प्रतिस्पर्धामत्क निविदाओं के आधार पर तथा पॉवर एक्सचेंजों के माध्यम से दिन व अवधि आधार पर दैनिक प्रचलित दरों पर बेची जाती हैं। बाहरी राज्यों को बेची जाने वाली बिजली की दरों का निर्धारण, पॉवर ट्रेडर का चयन तथा ट्रेडिंग मार्जन का निर्धारण सरकार की तरफ से गठित समिति के माध्यम से किया जाता है। इस तरह ट्रेड एक्सचेंज में हर दिन बिजली के दामों में उतार-चढ़ाव होता है।

विद्युत क्षेत्र में निवेश की संभावना बढ़ी

पावर कन्क्लेव में 10 पावर प्रोजैक्टों में 25,772 करोड़ रुपए का निवेश आने से निकट भविष्य में इस क्षेत्र में अधिक निवेशकों के आने की संभावना है। मौजूदा समय में भी सरकारी क्षेत्र के जिन 3 उपक्रमों एनएचपीसी, एनटीपीसी और एसजेवीएनएल ने प्रोजैक्टों का काम अपने हाथ में लिया है, उन्होंने भी भविष्य में अतिरिक्त पावर प्रोजैक्ट देने की मांग की है। यहां तक कि इन उपक्रमों की तरफ से एक नदी बेसिन एक ही उपक्रम को देने की मांग की गई है, ताकि प्रोजैक्ट निर्माण में लागत कम हो सके। एसजेवीएनएल की तरफ से इस तरह की मांग खुलकर की गई है।

Vijay