मुखर्जी का बलिदान आया देश की एकता और अखंडता के काम: सुरेश भारद्वाज (Video)

Wednesday, Aug 07, 2019 - 12:02 PM (IST)

शिमला (योगराज): जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए के हटाने का केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का 23 जून, 1953 को कश्मीर की जेल में संदिग्ध अवस्था में देहांत हो गया था। डॉ. श्यामा प्रसाद ने एक देश, एक संविधान, एक प्रधान और एक झंडा का जो सपना देखा था उसे केंद्र की भाजपा सरकार ने साकार किया है। मुखर्जी का बलिदान देश की एकता और अखंडता के काम आया है। यह बात शिमला में प्रदेश के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कही। उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 के भाजपा के संकल्प पत्र में कश्मीर से धारा 370 को हटाने का वायदा किया था। लद्दाख और जम्मू को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है।

कश्मीर में बढ़ेंगी नए उद्योग और पर्यटन की संभावनाएं

उन्होंने कहा कि अब कश्मीर में विकास और शांति की स्थापना होगी। पहले धारा 370 के कारण कोई नया उद्योग नहीं लग सकता था, जिसके चलते लोगों को दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए भटकना पड़ता था लेकिन अब रोजगार के साथ आर.टी.ई. और आर.टी.आई. का अधिकार भी कश्मीर के लोगों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब तक 6 साल विधानसभा का कार्यकाल था जो अब 5 साल का होगा। नए उद्योग और पर्यटन की संभावनाएं कश्मीर की घाटी में 370 के हटने के बाद बढं़ेगी। उन्होंने कहा कि बिजली, पानी और सड़क जैसी सुविधाओं को कश्मीर के नेता नहीं दे पाए हैं। धारा 370 और 35ए के हटने से महिलाओं के अधिकार भी सुरक्षित होंगे।

कांग्रेस के सांसद कश्मीर को कह रहे यू.एन.ओ. का मामला

उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की बात नहीं कर रही है। संसद में कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी कश्मीर को यू.एन.ओ. का मामला कह रहे हैं। कांग्रेस के सांसद को अपने पद की गरिमा का खयाल नहीं है तभी वे देशद्रोही वाली भाषा बोल रहे हैं, जिसकी भत्र्सना की जानी चाहिए। प्रदेश के कुछ कांग्रेस नेताओं विक्रमादित्य सिंह, सुधीर शर्मा सहित देश के कई विपक्षी नेताओं ने इस फैसले का समर्थन किया है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। केंद्र की सरकार ने आम जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप निर्णय लिया है।

कश्मीर में फिर से बसने शुरू हो जाएंगे कश्मीरी पंडित

उन्होंने बताया कि 1990 में 3 लाख कश्मीरी पंडितों को आतंकवाद के कारण कश्मीर छोडऩा पड़ा था। अब धारा 370 हटने के बाद कश्मीरी पंडित फिर से कश्मीर में बसने शुरू हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में अलग संविधान चलता था लेकिन अब भारत का ही संविधान और झंडा भी जम्मू-कश्मीर में लहराया जाएगा। शादी के बाद अब कश्मीर की महिलाओं को पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा। आतंकवाद के कारण कश्मीर का विकास रुक गया था, जिसे अब गति मिलेगी।

 

Vijay