हिमाचल के पर्यटन स्थलों शिमला, धर्मशाला और मनाली में पेयजल संकट, ग्रामीण योजनाएं भी हांफीं

punjabkesari.in Tuesday, Jun 14, 2022 - 11:28 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। आलम यह है कि स्मार्ट सिटी शिमला व धर्मशाला के साथ प्रमुख पर्यटन स्थल मनाली में पेयजल संकट गहराया गया है। इससे देश-विदेश से राज्य में आने वाले सैलानियों के अलावा स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शिमला में इस कारण वैकल्पिक दिन पर भी पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। शहर में कई जगह तीसरे दिन तो कुछ स्थानों पर सप्ताह बाद पानी उपलब्ध हो रहा है। यही स्थिति शहर से लगते ग्रामीण क्षेत्रों की है। शिमला में पेयजल वितरण व्यवस्था को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भी सवाल उठाए हैं। इसके अलावा प्रमुख विपक्षी दलों कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और माकपा ने सरकार को घेरा है। 

धर्मशाला में 60 फीसदी तक गिरा जल स्तर 
राजधानी शिमला के बाद अब धर्मशाला में भी पेयजल संकट गहरा गया है। पानी के कारण शहर में हाहाकार मच गया है। आलम यह है कि जल शक्ति विभाग दिन के केवल 45 मिनट के लिए ही पानी की आपूर्ति कर पा रहा है। धर्मशाला शहर को जोड़ने वाली दोनों पेयजल योजनाओं के मुख्य स्त्रोतों का जल स्तर 60 फीसदी गिर गया है। इस कारण विभागीय अधिकारियों को पेयजल उपलब्ध करवाने में परेशानी आ रही है। देहरा सहित अन्य मैदानी क्षेत्रों में भी पेयजल संकट गंभीर है। 

मनाली के कुछ हिस्सों में पेयजल संकट 
मनाली के रांगड़ी, सियाल मनाली व अलेउ के कुछ हिस्सों में पेयजल संकट है। इससे स्थानीय लोगों, होटल व अन्य पर्यटन कारोबारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।  

9500 पेयजल योजनाएं तथा 40624 हैंडपंप स्थापित  
हिमाचल प्रदेश में इस समय करीब 9,500 पेजयल योजनाएं हैं तथा 40,624 हैंडपंप लगे हैं। राज्य में पिछले 2 वर्षों में 8.27 लाख घरों में नल लगाए गए हैं जबकि पिछले 72 वर्षों में करीब 7.63 लाख नल ही लग पाए। सरकार ने जुलाई, 2022 तक प्रदेश के हर घर में नल से जल देने का लक्ष्य रखा है, जबकि राष्ट्रीय लक्ष्य 2024 तक है। यानि राज्य सरकार की तरफ से अब तक 92 फीसदी घरों में नल लगे हैं।

यह है समस्या का कारण
हिमाचल प्रदेश में पेजयल संकट गहराने का एक कारण ग्लोबल वाॄमग भी बताया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 22 साल में हिमाचल का तापमान 8.62 डिग्री तक बढ़ा है तथा 19 फीसदी ग्लेशियर कम हुए हैं। यानि प्रदेश स्तर पर जहां 8.62 डिग्री तक तापमान बढ़ा है। इस कारण राज्य में अप्रैल माह से ही जून माह जैसे हालात पैदा हो गए थे। ऐसे में अब राज्य में मानसून के दस्तक देने पर ही पेजयल संकट दूर होने की संभावना है।

यह है स्थिति 
पूरे प्रदेश की बात करें तो मौजूदा समय में करीब 830 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। इसमें से 100 योजनाएं तो ऐसी हैं, जो 50 से 100 फीसदी तक सूख गई हैं। करीब 490 पेयजल योजनाओं का जल स्तर 25 फीसदी तथा 330 का 50 फीसदी तक गिरा है। 

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Content Writer

Vijay

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