कांगड़ा : जिला उपभोक्ता आयोग ने किया 4 मामलाें का निपटारा

punjabkesari.in Saturday, Dec 31, 2022 - 10:53 PM (IST)

धर्मशाला (तनुज): जिला उपभोक्ता आयोग में शनिवार को 4 मामलों की सुनवाई हुई। पहले मामले में डाॅ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल काॅलेज टांडा के रैजीडैंट डाॅक्टर का कोरोना काल में ड्यूटी के चलते अपना मालद्वीप का टूअर रद्द करवाने के बाद भी बुकिंग के पैसे वापस न करने वाले ट्रैवल एजैंट को जिला उपभोक्ता आयोग ने ब्याज समेत बुकिंग राशि देने के अलावा एक लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। शिकायतकर्ता डाॅ. संकेत वशिष्ठ निवासी खनियारा धर्मशाला ने शिकायत में कहा था कि दिसम्बर 2019 में उन्होंने मालद्वीप का टूअर प्लान किया। इसके लिए दिल्ली निवासी एक ट्रैवल एजैंट दीपक से फोन पर बातचीत करके 6 से 10 मई, 2020 का टूअर तय किया और ट्रैवल एजैंट को 122 244 रुपए दिए। मालद्वीप के एक होटल की ओर से बुकिंग का संदेश भी उन्हें प्राप्त हो गया, लेकिन हवाई टिकट बुकिंग का मैसेज नहीं आया। इस बीच कोरोना के मामले बढ़ने पर उनकी ड्यूटी फ्रंट लाइन वर्कर के तौर पर टांडा में लग गई। उन्होंने 25 मार्च, 2020 को दीपक को फोन के माध्यम से संपर्क करके बुकिंग रद्द करने और बुकिंग का पैसा वापस करने को कहा, लेकिन दीपक कुमार पैसे देने से इंकार करने लगा। जब उन्होंने पता किया तो मालद्वीप के उक्त होटल में 24 अप्रैल को एजैंट के कहने पर बुकिंग रद्द कर दी थी और उससे कोई पैसा नहीं लिया गया था। डाॅ. संकेत वशिष्ठ की शिकायत पर जिला उपभोक्ता आयोग ने ट्रैवल एजैंट को शिकायतकर्ता के 122 244 रुपए 9 प्रतिशत ब्याज सहित 30 दिनों के भीतर वापस देने के आदेश दिए हैं। यदि 30 दिनों के भीतर राशि नहीं चुकाई तो उक्त राशि 15 प्रतिशत ब्याज सहित देनी होगी। वहीं शिकायतकर्ता को परेशान करने पर एक लाख रुपए मुआवजा और 7500 रुपए मुकद्दमा फीस देने के आदेश भी दिए हैं।

इंश्योरैंश क्लेम न देने पर 9 फीसदी ब्याज समेत लौटानी होगी रकम
दूसरे मामले में हैल्थ इंश्योरैंस लेने वाले उपभोक्ता को क्लेम राशि न देने पर बीमा कंपनी को 9 प्रतिशत ब्याज सहित राशि लौटाने के आदेश जिला उपभोक्ता आयोग ने दिए हैं। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा अवधि 29 अप्रैल 2010 से 29 अप्रैल 2034 तक थी तथा इंश्योरैंस में उनकी पत्नी भी शामिल थी। उन्होंने शिकायत में बताया था कि उनकी पत्नी शकुंतला देवी को गॉल ब्लैडर की पथरी होने के कारण वह 6 से 8 सितम्बर 2018 तक जालंधर स्थित एक अस्पताल में भर्ती रही और उनका ऑप्रेशन हुआ। इसके बाद 8 से 11 जनवरी 2019 तक फिर से जालंधर स्थित अस्पताल में तथा सदस्य नारायण ठाकुर व आरती सूद ने यह निर्णय सुनाया है। शिकायतकत्र्ता श्याम सिंह पटियाल निवासी पढियाड़ा कोहाला ज्वालामुखी ने वर्ष 2010 में स्वास्थ्य बीमा खरीदा था। इसकी भर्ती किया गया। उपचार के लिए 2 बार भर्ती होने के बाद 8 जुलाई 2019 को उन्होंने अपनी हैल्थ पॉलिसी क्लेम करने के लिए आवेदन किया, लेकिन बीमा कंपनी ने उनका आवेदन रद्द कर दिया। बीमा कंपनी की ओर से तर्क दिया गया कि उनकी पत्नी एक साथ कम से कम 52 घंटों तक अस्पताल में भर्ती होना अनिवार्य था जबकि शकुंतला देवी 52 घंटे तक अस्पताल में भर्ती नहीं हुुई। इस कारण क्लेम राशि नहीं दी जा सकती है। बीमा कंपनी के इस तर्क के बाद उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करवाई। आयोग ने बीमा कंपनी को नियमों के हिसाब से 65 हजार 400 रुपए राशि 9 प्रतिशत ब्याज सहित देने के आदेश दिए। साथ ही बीमा कंपनी को 5 हजार रुपए राहत राशि, जबकि 5 हजार मुकद्दमा फीस भी देने के निर्देश दिए हैं।  

वर्कशॉप संचालक को 9 प्रतिशत ब्याज सहित 10 हजार रुपए कार मालिक को लौटाने के आदेश
तीसरे मामले में कार की मुरम्मत की निर्धारित राशि से अधिक पैसे वसूलने पर वर्कशॉप संचालक को 9 प्रतिशत ब्याज सहित 10 हजार रुपए की राशि लौटाने का फैसला जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनाया है, साथ ही वर्कशॉप संचालक को कार मालिक को 10 हजार रुपए राहत राशि व 7500 रुपए मुकद्दमा फीस भी देनी होगी। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा तथा सदस्य नारायण ठाकुर व आरती सूद ने यह फैसला सुनाया है। आयोग के समक्ष रागिनी धीमान निवासी दरंग ज्वालामुखी ने शिकायत दी थी कि उनकी आल्टो कार के-10 की उन्होंने कैशलैस इंश्योरैंश करवाई थी। फरवरी 2020 में कार का एक्सीडैंट हुआ था तो कार टांडा खोली स्थित यूनाइटेड सर्विसिज में मुरम्मत को दी। इस दौरान इंश्योरैंश कंपनी के सर्वेयर ने कार का मुआयना कर 77000 रुपए के नुक्सान का आकलन किया था। वहीं वर्कशॉप कंपनी की ओर से मुरम्मत कार्य का कुल भुगतान राशि 86102 रुपए बनाई गई थी, जोकि बाद में 85101 रुपए निर्धारित की गई। इस दौरान वर्कशॉप संचालक ने कार मालिक से 6 जून और 6 अगस्त 2020 को 2 बार 9100-9100 की राशि ली। वर्कशॉप संचालक ने कार मालिक से 8 हजार की राशि लेनी थी, जबकि उसने कार मालिक से 18 हजार रुपए लिए। आयोग के समक्ष तथ्य साबित होने पर कार मालिक से गलत तरीके से 10 हजार रुपए अधिक लिए जाने पर फैसला सुनाया।

नशे में दुर्घटनाग्रस्त हुई गाड़ी का क्लेम मांगने की याचिका खारिज
चौथे मामले में नशे में दुर्घटनाग्रस्त हुई गाड़ी का क्लेम मांगने की एक याचिका को जिला उपभोक्ता आयोग ने खारिज किया है। याचिका में शिकायतकर्ता ने नैशनल इंश्योरैंश कंपनी से 263217 रुपए की मुआवजा राशि प्राप्त करने के लिए याचिका दी थी। उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा, सदस्य नारायण ठाकुर व आरती सूद की खंडपीठ ने तथ्यों को ध्यान में रखते हुए याचिका को खारिज कर दिया। शिकायतकर्ता मोहर सिंह निवासी अनसोली, मटौर (कांगड़ा) ने उपभोक्ता आयोग में दायर याचिका में कहा था कि उसका बेटा राहुल चौधरी 20 नवम्बर 2021 को अपने एक दोस्त के घर से लौट रहा था तो बगली के पास गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। घायलावस्था में राहुल को टांडा पहुंचाया गया। वहीं गाड़ी को काफी नुक्सान पहुंचा। गाड़ी की मुरम्मत पर 248217 रुपए का खर्च आया। इसके चलते उसने सारे दस्तावेज तैयार कर गाड़ी की बीमाकृत कंपनी नैशनल इंश्योरैंश कंपनी के पास जमा करवाए, लेकिन बीमा कंपनी ने गाड़ी की इंश्योरैंश देने से मना कर दिया। कंपनी की ओर से तर्क दिया गया कि दुर्घटनाग्रस्त कार की कटी एमएलसी के दौरान चालक द्वारा शराब का सेवन बताया गया। इसके चलते क्लेम नहीं दिया जा सकता। 

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Content Writer

Vijay

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