Himachal: देवभूमि पर आने वाले बड़े संकट पर लगेगा विराम, देव चुंजवाला बांधेंगे रक्षा सूत्र
punjabkesari.in Wednesday, Oct 15, 2025 - 11:28 AM (IST)

बालीचौकी (फरेंद्र ठाकुर): देवभूमि हिमाचल प्रदेश पर आपदा के बाद आने वाले बड़े खतरे से बचाव के लिए मंडी जिले के सराज के अधिष्ठाता चुंजवाला महादेव 59 वर्षों के बाद कमरूनाग दौरे पर जाएंगे। देव चुंजवाला महादेव बुधवार को 7 हार के 5000 लाव-लश्कर के साथ शालागाड़ कोठी से कमरूनाग धाम के लिए रवाना होंगे। सर्वप्रथम देव चुंजवाला महादेव यहां पहुंचकर मंडी जनपद के अधिष्ठाता देव कमरूनाग से देव मिलन कर अनहोनी से बचाव का सूत्र बांधेंगे, जिसके बाद वीरवार को कमरूनाग की पवित्र झील में शाही स्नान कर सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद भी देंगे। मान्यता के अनुसार शाही स्नान के दौरान झील का पानी अपने ऊपर छिड़कने मात्र से ही कई रोग दूर हो जाते हैं।
वर्ष 1966 में कमरूनाग गए थे देव चुंजवाला महादेव
कार करिंदों की मानें तो देव चुंजवाला महादेव वर्ष 1966 में कमरूनाग गए थे, उसे समय उनके गूर बुरनू का यह अंतिम दौरा था। तब से लेकर अब तक लगभग 6 दशक बाद देव आदेश पर दौरा निकाला गया है। हालांकि देवता ने आपदा के दौरान ही कमरूनाग जाने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन बरसात के कारण रास्तों की खराब स्थिति को देखते हुए दौरे पर हामी नहीं भरी गई। अब स्थिति को ठीक देखकर कार करिंदों ने तैयारियां पूरी कर दी हैं। वहीं कमरूनाग मंदिर कमराह में देवता सर्वप्रथम अपना शीश नवाएंगे। जिसके बाद देव कार्यवाही कर देवता अपने गूर के माध्यम से भविष्यवाणी भी करेंगे।
शराब साथ ले जाने पर पाबंदी, पकड़े जाने पर होगी कार्रवाई
देव चुंजवाला महादेव कमेटी ने देवलुओं को कमरूनाग दौरे के दौरान अपने साथ शराब ले जाने पर कार्रवाई की चेतावनी जारी की है। अगर धार्मिक स्थल कमरूनाग परिसर में कोई शराब या अन्य मादक पदार्थ का सेवन करता पाया गया तो उसके खिलाफ कमेटी सख्त कार्रवाई करेगी। इसके साथ देवता कमेटी ने देव परम्परा के सभी नियमों का पालन करने का देवलुओं से आग्रह किया है। अक्सर देखा गया है कि हारियान देवता के दौर के दौरान शराब का अधिक सेवन करते पाए जाते हैं, जिसका कमेटी ने सख्त विरोध किया है।
नि:संतानों को संतान देते हैं देव चुंजवाला, इतिहास बताना नियमों के खिलाफ
मान्यता के अनुसार जिस दंपति के संतान नहीं होती है, उसकी मनोकामना देव चुंजवाला अपने वार्षिक पर्व में आकर पूरी करते हैं। इसका प्रमाण आज भी पूरे सराज घाटी में है। देवता का पर्व हर साल 15 और 16 मई को होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हाेते हैं। वहीं देवता का इतिहास बताना नियमों के खिलाफ है। देवता के सख्त आदेश हैं कि किसी को भी इतिहास नहीं बताया जाए, जिसका कार कारिंदों लंबे समय से पालन कर रहे हैं। देव चुंजवाला कमेटी सात हार के अध्यक्ष देवराज ने बताया देवता देवभूमि पर आने वाले बड़े संकट से बचाव का सूत्र भी बांधेंगे।