Solan: अमर शहीद लाला जगत नारायण जी को क्योरटेक ग्रुप ने दी श्रद्धांजलि, गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापित

punjabkesari.in Saturday, Sep 07, 2024 - 07:00 PM (IST)

बीबीएन: देश की एकता अखंडता के लिए आतंकवादियों के हाथों शहादत का जाम पीने वाले शहीद लाला जगत नारायण जी की 43वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर क्योरटेक प्रांगण में लाला जी को श्रद्धासुमन भेंट करने के साथ-साथ गणेश चतुर्थी उत्सव पर क्योरटेक हाऊस प्रांगण में गणपति बप्पा की वियतनाम के संगमरमर से बनी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस अवसर पर हवन किया गया, जिसमें क्योरटेक परिवार के सदस्यों ने आहुतियां डालीं। उल्लेखनीय है कि पंजाब केसरी ग्रुप के संस्थापक अमर शहीद लाला जगत नारायण जी द्वारा लगाया गया पौधा आज देश के सर्वश्रेष्ठ मीडिया हाऊस में फैल चुका है जिसके 17 एडिशन देश भर में चल रहे हैं। 

इस अवसर पर क्योरटेक ग्रुप के मैनेजिंग डायरैक्टर सुमित सिंगला ने बताया कि शिव परिवार का जिसके सिर पर आशीर्वाद हो वह व्यक्ति सदैव भक्ति में लीन रहता है। उन्होंने कहा कि श्री गणपति उत्सव भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी के सिद्धि विनायक स्वरूप की पूजा की जाती है। इस अवसर पर भव्य कढ़ी-चावल व पकोड़ों का लंगर वितरित किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध शास्त्री संजय पंडित ने कहा कि प्रत्येक कार्य के शुरू करने से पूर्व श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है और गणपति जी की मूर्ति को घर व परिवार स्थल पर ईशान कोन में स्थापित की जानी चाहिए। इस अवसर पर क्योरटेक परिवार के दीपक शर्मा, मोहित शर्मा, अमरजीत सिंह सैनी, जगतार सिंह, डी के तोमर, नरेश ठाकुर, हुसन चौधरी, राजवीर, मान सिंह,  दर्शन, शैलेंदर नड्डा, धारी गांधी, देशराज व राम किशोर भी उपस्थित थे।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन गणेश जी दोपहर में अवतरित हुए थे, इसलिए यह गणेश चतुर्थी विशेष फलदायी बताई जाती है।सनातन धर्म के त्यौहारों में गणेश चतुर्थी एक मुख्य त्यौहार है जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी गणेश जी के पूजन और उनके नाम का व्रत रखने का विशिष्ठ दिन है, लेकिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी के सिद्धि विनायक स्वरूप की पूजा की जाती है। पूरे देश में यह त्यौहार गणेश उत्सव के नाम से प्रसिद्ध है। लोक भाषा में इस त्योहार को डंडा चौथ भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विद्या-बुद्धि के प्रदाता, विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, सिद्धिदायक, सुख-समृद्धि और यश-कीर्ति देने वाले देवता माना गया है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ‘ॐ’ और स्वास्तिक को भी साक्षात गणेश जी का स्वरूप माना गया है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसे गणेश नाम दिया। पार्वती जी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर न आने दे, ऐसा कहकर पार्वती जी अंदर नहाने चली गईं। जब भगवान शिव वहां आए ताे गणेश जी ने उन्हें अंदर नहीं आने दिया। शिवजी ने बार-बार गणेश जी को समझाया लेकिन वह नहीं माने। इस पर भगवान शिवजी को बहुत गुस्सा आया और अपने त्रिशूल से गणेश जी गर्दन काट दी। माता पार्वती को जैसे ही इस बारे में पता चला तो उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया और कहा कि जब तक मेरे पुत्र को जीवित नहीं करेंगे तब तक ही मैं यहां से नहीं चलूंगी।

लाख कोशिशों के बाद भी जब माता पार्वती नहीं मानीं तो भगवान शिवजी ने विष्णु जी से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर लेकर आएं, जिसकी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। विष्णुजी ने तुरंत गरूड़ जी को आदेश दिया कि ऐसे बच्चे की खोज करके तुरंत उसकी गर्दन लाई जाए। गरूड़ जी के बहुत खोजने पर एक हथिनी ही ऐसी मिली जोकि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरूड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गए। शिव जी ने गणेश जी को हाथी का मस्तक लगाकर जीवनदान दिया, साथ ही यह वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी तो उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी। इसलिए हम कोई भी कार्य करते है तो उसमें हमें सबसे पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए अन्यथा पूजा सफल नहीं होती।


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Vijay

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