बैंक से कर्ज लेने वाले किसानों से धोखा साबित हो रही फसल बीमा योजना, जानिए क्यों

Thursday, Nov 14, 2019 - 10:06 AM (IST)

शिमला (देवेंद्र): हिमाचल में फसल बीमा योजना के नाम पर किसानों से धोखा हो रहा है। खासकर बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों को उनकी फसल का बीमा करवाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। हैरानी इस बात की है कि बैंक से कर्ज लेने वाले किसान ने यदि अपने खेतों में कोई कमर्शियल क्रॉप न भी लगा रखी हो, तो भी किसानों से प्रीमियम काटा जा रहा है। इससे किसान कर्जदार होता जा रहा है और बीमा कंपनियां मालामाल हो रही है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लगाई गई शर्त के कारण किसानों की इच्छा के बगैर ही प्रीमियम काटा जा रहा है।

यह प्रीमियम बीमा कंपनियां किसानों के उस बैंक खाते से स्वयं काटती हैं, जिस बैंक से किसानों ने कर्ज लिया हो। यदि किसी किसान ने बैंक से एक लाख रुपए की के.सी.सी. लिमिट बना रखी है, तो ऐसे में उस किसान को 6 से 8 हजार रुपए फसल बीमा योजना के प्रीमियम के चुकाने पड़ रहे हैं। इस तरह बैंक की किस्त लौटाने के साथ-साथ ऋणी किसानों को बीमा योजना का भी पैसा देना पड़ रहा है, इससे सूबे का किसान खुद को ठगा-सा महसूस कर रहा है।

सूबे के किसान केंद्र की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और राज्य की फसल बीमा योजना को ऐच्छिक बनाने की मांग कर रहे हैं। यानि जो किसान चाहे, उसकी फसल का बीमा किया जाए और जो किसान नहीं चाहता, उसका जबरदस्ती प्रीमियम न काटा जाए। वहीं दूसरी तरफ जिन किसानों ने बैंकों से कर्ज नहीं लिया है, उनके लिए यह योजना ऐच्छिक है। बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था होनी चाहिए।
 

Ekta