हिमाचल में इस वजह से सेब पर मंडराया खतरा, तबाह हो सकती है फसल

Friday, Apr 19, 2019 - 09:39 AM (IST)

गोहर: बारिश से पारा लुढ़कने के कारण सेब की फसल पर संकट मंडराता नजर आ रहा है। अप्रैल में भी तापमान में आ रही गिरावट का असर सेब की फ्लावरिंग के बाद सैटिंग पर पड़ रहा है। जानकारों के अनुसार सेब की सही सैटिंग के लिए कम से कम 18 से 24 डिग्री तापमान होना जरूरी है, लेकिन बागानों से सटे ऊपरी क्षेत्रों में तापमान अभी भी 8 से 10 डिग्री चल रहा है, जो सेब की फसल के लिए घातक है। क्षेत्र के सैंकड़ों बागवानों को अपनी सेब की फसल तबाह होती नजर आ रही है, क्योंकि अप्रैल में भी तापमान में आ रही गिरावट ने बागवानों को चिंता में डाल दिया है।

बगस्याड़, थुनाग, जंजैहली, छतरी, भुलाह, मगरूगला, केलोनाला, कुटाहची, रोहांडा, झुंगी, पंडार, चौकड़ी, जाच्छ व देविदहड़ आदि सेब बहुल क्षेत्रों में फ्लावरिंग पूरे यौवन पर है, लेकिन बिगड़ता तापमान इसके लिए संकट खड़ा कर रहा है। अचानक तापमान में भारी गिरावट आई है, इससे सेब की फ्लावरिंग पर परागण प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। प्रगतिशील बागवानों में दिवांशु ठाकुर, वीरेंद्र कुमार, राम लाल, राजेंद्र कुमार, पुष्पेंद्र पाल और हीरा सिंह ने बताया कि कई ऊपरी इलाकों में बारिश ने सेब के पौधों की फ्लावरिंग को पूरी तरह से झाड़ दिया है। शिकारी देवी सहित ऊंची चोटियों पर दोबारा बर्फबारी हुई है, जिससे अधिक ठंड से प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पडऩे के आसार बन गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस समय इलाके में सेब के पौधों पर भरपूर फ्लावरिंग हो रही है। एकाएक तापमान में गिरावट आना सेब की परागण प्रक्रिया करने में सहायक मित्र कीटों के लिए घातक है। ऐसे में अच्छी फसल की आस में बैठे बागवानों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। ठंड बढऩे की दिशा में कम तापमान के दौरान फूल का सही विकास नहीं होता है। बगीचों में पॉलीनेशन की प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है। ऐसी परिस्थिति में सेब की फसल को नुक्सान होने की संभावना बढ़ गई है।

कई क्षेत्रों में तापमान 8 से 10 डिग्री के बीच पहुंच गया है, जिससे बगीचों में सेब की अच्छी सैटिंग न हो पाने की सूरत में विपरीत असर पडऩे के आसार बन गए हैं। इसके बारे में बागवानी विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ डा. टी.आर. चौहान का कहना है कि इन दिनों तापमान में आ रही गिरावट सेब की सैटिंग के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि सेब की सैटिंग के लिए फ्लावरिंग के समय 18 से 24 डिग्री के मध्य तापमान का होना जरूरी है, लेकिन तापमान का गिरना बागवानों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
 

kirti