धर्मशाला कॉलेज में प्राचीन भारतीय विद्या सर्टीफिकेट कोर्स शुरू

Thursday, Jul 11, 2019 - 10:22 PM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एच.पी.यू.) से संबद्ध राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला में प्राचीन भारतीय विद्या (एनशियंट इंडियन विजडम) कोर्स शुरू करने को हरी झंडी मिल गई है। विभिन्न शैक्षणिक समितियों से इस कोर्स को शुरू करने के लिए स्वीकृति मिलने के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने इसी सत्र यानी कि 2019-20 से ही यह कोर्स शुरू कर दिया है। इस कोर्स में प्रवेश के लिए विस्तृत जानकारी विश्वविद्यालय की वैबसाइट पर उपलब्ध करवा दी गई है।

एड ऑन कोर्स के तौर पर लिया जा सकता है प्रवेश

प्राचीन भारतीय विद्या 6 माह का सर्टीफिकेट कोर्स है, जिसमें एड ऑन कोर्स के तौर पर प्रवेश लिया जा सकता है। इसके तहत विद्यार्थी फुल टाइम कोर्स यानी कि बी.ए., एम.ए., बी.एससी., एम.एससी., बी.कॉम. व एम.कॉम. के साथ किया जा सकता है। इस कोर्स में जमा दो की कक्षा के बाद प्रवेश लिया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में स्थित बौद्ध विद्या केंद्र के चेयरमैन वी.एस. नेगी ने कहा कि दलाईलामा के सहयोग से देश में पहली बार प्राचीन भारतीय विद्या कोर्स शुरू किया जा रहा है। शिक्षा विभाग की अनुमति से प्रदेश विश्वविद्यालय ने इस कोर्स के पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देते हुए अमलीजामा पहनाया है।

यह है कोर्स के शुरू करने का मुख्य उद्देश्य

उन्होंने कहा कि इस कोर्स के शुरू करने का मुख्य उद्देश्य भारतीय युवाओं को विविध प्राचीन भारतीय ज्ञान पद्धतियों, संस्कृतियों को समझाना व मानव और प्रकृति के मध्य समन्वय स्थापित करने में सहयोग प्रदान करवाना है। उन्होंने कहा कि इस कोर्स से युवाओं को अपने मन की प्रवृत्तियों को समझने में मदद मिलेगी, वहीं आधुनिकता की इस दौड़ में मानवीय मूल्यों की उपयोगिता को समझकर उन्हें अपने व्यावहारिक जीवन में उतारने में भी मदद मिलेगी।

प्राचीन भारतीय विद्या कोर्स के लिए 30 सीटें निर्धारित

राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला में शुरू हो रहे प्राचीन भारतीय विद्या (एनशियंट इंडियन विजडम) कोर्स के लिए 30 सीटें निर्धारित की गई हैं। वी.एस. नेगी ने कहा कि युवाओं की रुचि तथा इसकी सफलता को देखते हुए इसमें डिप्लोमा तथा उच्चतर डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी संचालित किया जाएगा और अन्य कालेजों में भी यह कोर्स शुरू करने की दिशा में संभावनाएं तलाशी जाएंगी। उन्होंने कहा कि कोर्स युवाओं को प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान को आधुनिक संदर्भ में समझने के प्रयास के साथ-साथ उन्हें अपने बेहतर भविष्य की स्वर्णिम पृष्ठभूमि तैयार करने की दिशा में भी मदद करेगा।

Vijay