चीन से प्रतिस्पर्धा भारत सरकार की मदद से ही संभव हो सकेगी: सुमित सिंगला

punjabkesari.in Thursday, Mar 11, 2021 - 04:49 PM (IST)

बद्दी :  कोरोना काल के बाद भारत के दवा उद्योग पर पूरी दुनिया की नजर है। चीन जोकि वर्षों से विश्व दवा उद्योग पर हावी रहा है, से भारतीय दवा उद्योग तभी प्रतिस्पर्धा कर पाएगा यदि भारत सरकार इसमें कंधे से कन्धा मिलाकर साथ दे। यह बात बद्दी के प्रसिद्ध उद्योगपति सुमित सिंगला (क्योरटेक ग्रुप) ने आज यहां एक विशेष इंटरव्यू में कही। सिंगला ने कहा कि देश भर में दवाओं की सप्लाई कला अम्ब, सिरमौर, बद्दी, नालागढ़ व सोलन से होती है। इसी एरिया में देश की बड़ी, मझोली व हजारों लघु दवा उद्योग स्थापित हैं जहाँ लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि हाल ही में दवा उद्योग में प्रयोग होने वाले केमिकल के रेट कई गुना बढ़ गए हैं। उन्होंने मांग की कि भारत सरकार दवा उद्योग को कण्ट्रोल रेट पर कच्चा माल उपलब्ध करवाए ताकि भारत का दवा उद्योग विश्व स्तर पर चीन के दवा उद्योग का मुकाबला कर सके। उन्होंने बताया के हाल ही दिनों में गैस, पेट्रोल य डीजल के दाम में बेतहाशा वृद्धि होने के कारन दवा उद्योग के खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि पैरासिटामोल के रेट जो कि कण्ट्रोल रेट पर बिकना चाहिए के रेट 250 से बढ़कर 600 से भी ऊपर जा चुके हैं। दवा उद्योग को जो माल तैयार करके देना है वो इन बड़े रेट के कारण भारी घाटे का कारण बनता जा रहा है। इसी प्रकार सरकारी दवा सप्लाई देने वाले उद्योग भी भरी घाटा सहन कर माल देने को विवश हैं। ऐसे हालातों में दवा उद्योग खर्चे कम करने का सोचते हुए कर्मचारियों की छंटनी को भी सोचने को मजबूर होते दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन्ही कारणों से पैकिंग उद्योग ने तीन दिनों की हड़ताल की काॅल दी है जो कि दवा उद्योग को और भी भारी पड़ेगी, क्योंकि प्रत्येक दवा पैकिंग के बिना भेजनी संभव ही नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस जन-आवश्यक उद्योग को बचाने के लिए हस्ताक्षेप कर प्रत्येक प्रकार का कच्चा माल कण्ट्रोल रेट पर उपलब्ध करवाना चाहिए। 

उन्होंने बताया कि कोरोना  काल के दौरान जनता द्वारा खान पान, रहन सहन में अत्यधिक ध्यान देने से देश में बिमारियों की दर बहुत कम हुई है जिस कारण दवाओं की मांग में भी भारी गिरावट आई है। वहीं दूसरी ओर दवा के कच्चे माल की कला बाजारी बहुत बढ़ गई है जिससे भारतीय दवा उद्योग को कुठाराघात पहुंचा है। देश में पेरासिटामोल के रेट आसमान छूने लगे हैं। यही नहीं प्लास्टिक दाना से बनने वाली वस्तुएं जिनमें पीवीसी मुख्य रूप में शामिल हैं जबकि इन वस्तुओं पर देश के प्रमुख उद्योगपतियों का एकाधिकार है और जिनका रेट 100 से बढ़कर 180 रुपए हो चुका है। उन्होंने इस मामले में भी भारत सरकार के हस्तक्षेप की मांग की और दवा उद्योग को यह वस्तुएं कण्ट्रोल रेट पर उपलब्ध करवाने की मांग दोहराई। उन्होंने दवा उद्योगपतियों को भी अपील की कि वह एकजुट होकर सरकार पर दबाव डालें की यह सामान सही रेट पर मिले। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय दवा उद्योग का लक्ष्य देश और दुनिया को क्वालिटी प्रॉडक्ट सही दाम पर उपलब्ध करवाना है, जिससे दवा उद्योग से जुड़े लाखों लोगों का रोजगार सुरक्षित रहे और भारत विश्व भर में अपनी पैठ मजबूत कर सके।
 


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Content Writer

prashant sharma

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