केंद्रीय बजट में फार्मा उद्योग को राहत देना सराहनीय : सुमित सिंगला
punjabkesari.in Tuesday, Feb 01, 2022 - 06:31 PM (IST)

बीबीएन (ब्यूरो): फैडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज व लघु उद्योग भारती के हिमाचल प्रदेश यूनिट के वरिष्ठ पदाधिकारी व क्योरटेक ग्रुप के मैनेजिंग डायरैक्टर सुमित सिंगला ने केंद्रीय सरकार द्वारा पेश किए बजट की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान देश का प्रत्येक वर्ग प्रभावित हुआ, जिसमें लघु, मध्यम उद्योग और फार्मा उद्योग को कड़ा संघर्ष करना पड़ा। केंद्रीय सरकार ने इस मुश्किल की घड़ी में इन उद्योगों को कर्ज प्रदान कर राहत प्रदान की। यही कारण रहा कि ये उद्योग सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरकार की मदद के कारण ही संभव हुआ कि भारत का फार्मा उद्योग विश्वभर में तीसरे स्थान पर आ गया है। कोरोना महामारी के दौरान भारत सरकार की नीतियों के कारण जहां भारत को विश्व की फार्मेसी कहा जाने लगा, वहीं सरकार के टीकाकरण अभियान की उपलब्धि है कि देश में कोविड महामारी उतनी जानलेवा नहीं हुई जितनी विदेश में रही। टीकाकरण के कारण देश में कोविड एक फ्लू मात्र हो चला है।
सुमित सिंगला ने केंद्रीय बजट पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 2022 के यूनियन बजट में सरकार ने विदेशों पर भारतीय फार्मा उद्योग की 80 से 100 प्रतिशत निर्भरता को भांपते हुए एक हाई लेवल समिति का गठन कर उसके सुझावों को जिनमें क्रिटिकल बल्क ड्रग्स के देश के भीतर ही निर्माण को उत्साहित करने पर बल दिया गया है। इसके लिए बजट में प्रमोशन लिंक्ड इंसैंटिव सिस्टम को लागू किया गया है, जिसके अधीन बायो फार्मास्युटिकल्स, एपीआई, के एसएम ड्रग्स व इंटर मिडिएट (तीन श्रेणियों) मेडिकल मशीनरी पर देश के भीतर निर्माण को प्रोत्साहित करने हेतु 3420 करोड़ की योजना रखी है जोकि 6 वर्षो के निर्माण में बढ़ाैतरी को देखते हुए उद्योग को इंसैंटिव के रूप में प्रदान की जाएगी। इस योजना में क्रिटिकल एपीआई का निर्माण देश के भीतर करने हेतु अलग से 6940 करोड़ रुपए आगामी 8 वर्षों में आरक्षित हैं। यह योजना देश के 13 सैक्टर में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा में भारतीय उद्योग को केंद्रीय सरकार का समर्थन देने हेतु आरक्षित किए गए 1.97 लाख करोड़ रुपए के अंतर्गत है।
सुमित सिंगला ने कहा कि भारत सरकार की नीतियों के कारण भारतीय फार्मा उद्योग विश्व में तीसरे स्थान पर आ पहुंचा है जो कि 24.4 यूएस बिलियन डॉलर का स्तर पार कर चुका है, जिसकी विश्वभर के फार्मा उद्योग में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी हो गई है। यही कारण है कि गत कोरोना काल में फार्मा सैक्टर निवेश 200 प्रतिशत भड़कर 4413 करोड़ का हो गया है जोकि 53 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। केंद्रीय बजट में आम जनता के लिए दवाओं के रेट कम करने की योजना के संदर्भ में सुमित सिंगला ने कहा कि सरकार द्वारा नैशनल फार्मा प्राइस अथॉरिटी (एनपीपीए) का गठन करना एक सराहनीय कदम है, जिसमें 355 दवाओं और 886 फॉर्मूलेशन्स जिनमें आवश्यक दवाएं शामिल हैं, के रेट इस संस्था द्वारा निर्धारित किए जाएंगे। इनमें रेमडीसीवीर जैसी दवा व ऑक्सीजन भी शामिल है।
उन्होने कहा कि देश में फार्मा के कच्चे माल पर ब्लैक मार्कीटिंग करने वाले लोगों पर भी कड़ी निगरानी और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि फार्मा जगत को जीएसटी में भी राहत प्रदान की जानी चाहिए। फार्मा के कच्चे माल पर जहां 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, वहीँ बने माल पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इससे 6 प्रतिशत का फर्क रिफंड के समय उद्योग को वित्तीय रूप में पड़ता है। इसे एक सामान किए जाने से इस समस्या से राहत मिल सकेगी। उन्होंने कच्चे माल जिनमें फॉयल, पैकेजिंग, गत्ता, पीवीसी व अलुमिनिमूम फॉयल पर 50 से 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी दवाओं को महंगा करने का कारण बनती है। इसी प्रकार प्राइस कंट्रोल वाली दवाएं जैसे पेरासिटामोल व अजिथ्रोमुसिन शामिल हैं के कच्चे माल के रेट भी कंट्रोल प्राइस पर किए जाएं।
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