रक्तिसर में आज भी पानी का रंग है सुर्ख लाल, जानिए क्या है मान्यता

punjabkesari.in Sunday, Sep 20, 2020 - 06:39 PM (IST)

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): जिला कुल्लू में कई ऐसे स्थान हैं जो असुरों, बुरी शक्तियों, नर भक्षियों के संहार की दास्तां बयां करते हैं। जब इन बुरी शक्तियों ने मानवता पर कहर ढहाया और नर संहार की इंतहा हो गई तो दैवीय शक्तियों ने इनका नाश कर डाला। जिला कुल्लू की सैंज घाटी की ऊंची पहाड़ी पर भी ऐसा ही एक स्थान है, जिसका नाम रक्तिसर है। इस जगह पर हजारों वर्षों पूर्व देवी महाकाली ने राक्षस रक्तबीज का संहार किया था। रक्तबीज को इस जगह लहुलूहान करके देवी ने उसका नाश कर डाला। उसके बाद इस जगह का नाम रक्तिसर है। यहां तालाब है और उसका पानी आज भी सुर्ख लाल रंग का है। दैवीय आशीर्वाद से अब यह जगह तीर्थ स्थल है। इस जगह पर प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी देखने को मिलते हैं और यहां एक स्थान पर मिट्टी का रंग भी लाल है। इसकी सतह से निकलने वाला पानी का रंग लाल है और कहते हैं कि इसी जगह पर रक्तबीज का शव दबाया गया है। लाल रंग का पानी इस जगह से निकलने के पीछे यही कारण लोग बताते हैं।

पवित्र स्नान के लिए आते हैं देवी-देवताओं के रथ

यह स्थान अब तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है और यहां देवी काली का आधिपत्य है। देवी-देवताओं के रथ आज भी इस जगह तीर्थ स्थल पर पवित्र स्नान के लिए जाते हैं। दैवीय शक्तियों के कारण इस स्थान से अब बुरी शक्तियों का खौफ खत्म हो गया है। क्षेत्रवासी तारा चंद, मोहर सिंह, बुद्धि सिंह, शेर सिंह, कृष्ण चंद आदि ने बताया कि समय-समय पर लोग देवी-देवताओं के साथ बड़ी संख्या में रक्तिसर जाते हैं और वहां पर पवित्र स्नान करते हैं।

...कहां है रक्तिसर

चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफर करते हुए जब हणोगी माता मंदिर से होते हुए थलौट पहुंचते हैं तो वहां से एक एनएच मनाली की ओर जाएगा और दूसरा एनएच-305 बंजार, आनी की तरफ मुड़ेगा। एनएच-305 पर सफर करते हुए लारजी से सैंज की ओर मुड़ेंगे तो करीब पौने घंटे का सफर करने के उपरांत सैंज पहुंचेंगे। सैंज से कुछ दूरी तक वाहन में सफर के उपरांत रक्तिसर के लिए पैदल जाना पड़ेगा। ट्रैकिंग करते हुए इस जगह तक पहुंचने के लिए करीब 3 दिन लगेंगे। अधिक तेजी से पैदल चलेंगे तो दो दिन में भी पैदल सफर पूरा करके इस जगह पहुंचा जा सकता है।


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Vijay

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