पंजाब-हरियाणा का हिमाचल के जल उपकर का विरोध तर्कसंगत नहीं : सुखविंदर सिंह

Thursday, Mar 23, 2023 - 11:38 PM (IST)

शिमला (भूपिन्द्र): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि पंजाब व हरियाणा द्वारा हिमाचल के जल उपकर का विरोध करना तर्कसंगत नहीं है क्योंकि प्रदेश सरकार ने अपने राज्य में स्थापित जल विद्युत परियोजनाओं द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले जल पर यह उपकर लगाया है। पड़ोसी राज्यों की सीमाओं में बहने वाले पानी पर इसे नहीं लगाया है। इसके अलावा संविधान के अनुसार पानी राज्य का विषय है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जल विद्युत उत्पादन अधिनियम, 223 द्वारा जल उपकर लगाना सिंधु जल संधि, 1960 के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है और न ही इससे पड़ोसी राज्यों को पानी छोड़े जाने पर कोई प्रभाव पड़ेगा और न ही नदियों के प्रवाह पैटर्न पर कोई परिवर्तन होगा। यह बात उन्होंने वीरवार को विधानसभा में अपने वक्तव्य में कही। उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश पंजाब राज्य के किसी भी तटीय अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है। उन्होंने पड़ोसी राज्यों को आश्वासन दिया कि इस अधिनियम से किसी भी प्रकार वैध अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।  

50-60 वर्ष पहले उजड़े विस्थापितों का नहीं हो पाया पुनर्वासन
सुक्खू ने कहा कि बीबीएमबी परियोजना से 50-60 वर्ष पहले उजड़े विस्थापितों का पूरी तरह से पुनर्वासन नहीं हो पाया है। इस परियोजना में पर्यावरण और सामाजिक प्रभावों के आकलन तथा पर्यावरण, सामाजिक प्रबंधन योजना को लेकर कोई पग नहीं उठाए गए तथा स्थानीय आबादी को उनके हाल पर छोड़ दिया।  

उपकर का भार हिमाचल सहित 5 राज्यों में होगा वितरित
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीबीएमबी की स्थापना विद्युत मंत्रालय ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधानों के अनुसार की थी। यह राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली व चंडीगढ़ राज्यों का उपक्रम है, ऐसे में बीबीएमबी की परियोजनाओं में हिमाचल सरकार द्वारा लगाए गए जल उपकर का भार हिमाचल प्रदेश सहित 5 राज्यों में समान रूप से वितरित किया जाएगा। 

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Content Writer

Vijay