हिमाचल को वन संपदा के पूर्ण दोहन पर पाबंदी की एवज में मिले समुचित मुआवजा : जयराम

Sunday, Jul 28, 2019 - 07:45 PM (IST)

शिमला (योगराज): मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल का लगभग 66 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वन क्षेत्र है और यदि राज्य को परिस्थितिकीय रूप से व्यवहारिक और वन क्षेत्र में वैज्ञानिक तौर पर वृद्धि की अनुमति मिलती है तो प्रदेश को लगभग 4 करोड़ रु पए का अतिरिक्त वार्षिक राजस्व हासिल हो सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कानूनों और अदालतों के आदेशों के कारण राज्य न तो अपनी वन संपदा से पूर्णरूप से राजस्व प्राप्त कर पा रहा है और न ही बड़े पैमाने पर भौगोलिक क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियां कार्यान्वित कर पा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में वन संपदा का संपूर्ण दोहन करने पर पाबंदी की एवज में हिमाचल को हो रहे करोड़ोंरु पए के राजस्व के नुक्सान के लिए समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री रविवार को उत्तराखंड के मसूरी में आयोजित हिमालयी राज्यों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।

राजस्व घाटे वाले राज्यों को पर्याप्त अनुदान देने का आग्रह

उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों के विकास के लिए समग्र, समावेशी और अनुकूल नीति तैयार करने की आवश्यकता है ताकि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और अन्य बाधाओं के बावजूद ये अन्य राज्यों के समान प्रगति कर सकें। सी.एम. ने वित्त आयोग व केंद्र सरकार से राजस्व घाटे वाले राज्यों को पर्याप्त अनुदान देने का आग्रह किया ताकि ऐसे राज्यों के पास पूंजी निवेश के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण हिमालयी राज्य विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बहुत संवेदनशील है। इसलिए यह जरूरी है कि केंद्र सरकार एस.डी.आर.एफ . के अंतर्गत इन राज्यों को धन का पर्याप्त आबंटन सुनिश्चित बनाए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन केंद्र सरकार, वित्त आयोग और नीति आयोग से हिमालयी राज्यों के लिए और अधिक धन प्राप्त करने में मील पत्थर सिद्ध होगा। हिमालयी राज्यों को सांझा मंच प्रदान करने के लिए उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री टी.एस. रावत के प्रयासों की सराहना की।

जी.एस.टी. से आने वाले राजस्व में भारी गिरावट दर्ज

सी.एम. ने कहा कि हिमाचल में जी.एस.टी. से आने वाले राजस्व में भारी गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने वित्त आयोग से राज्य को शेष 33 महीनों के लिए जी.एस.टी. की उचित दरों का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन की अपार क्षमता है लेकिन रेल और हवाई यातायात की उपलब्धता एक बड़ी बाधा है। इसलिए प्रदेश में एक बड़े हवाई अड्डे का निर्माण बहुत आवश्यक है। हिमालयी राज्यों में सड़कों का निर्माण बहुत महंगा है, जबकि नैटवर्क लगभग न के बराबर है।

वित्तीय कठिनाइयों का करना पड़ रहा सामना

जयराम ठाकुर ने कहा कि अधिकांश हिमालयी राज्यों को वित्त प्रबंधन के लिए केेंद्र सरकार और योजना आयोग पर निर्भर रहना पड़ता है लेकिन योजना आयोग को बंद किए जाने से इन राज्यों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हिमाचल सरकार गंभीर प्रयास कर रही है कि सतत् विकास के लक्ष्य को वर्ष 2030 के बजाय 2022 तक प्राप्त कर लिया जाए तथा लोगों के इज ऑफ  लिविंग स्तर को भी बढ़ाया जाए।

हिमालय क्षेत्र के वातावरण को बचाने में दे सहयोग : निर्मला सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हिमालयी राज्यों पर यह बड़ा उत्तरदायित्व है कि वे हिमालय क्षेत्र के वातावरण को बचाने में अपना भरपूर सहयोग दें। उन्होंने कहा कि हिमालयी पारिस्थितिकी को संरक्षित रखने के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है। इन राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में उचित बुनियादी ढांचा तैयार किया जाना चाहिए ताकि इन क्षेत्रों से लोगों के पलायन को रोका जा सके।

हिमालयी राज्यों की उम्मीदें न्यायसंगत

15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने कहा कि आयोग से हिमालयी राज्यों की उम्मीदें न्यायसंगत हैं और आयोग भी इन राज्यों की विकासात्मक आवश्यकताओं से पूरी तरह से अवगत है। उन्होंने कहा कि आयोग ने सतत् विकास के लिए हिमालयी राज्यों द्वारा की गई पहल के मूल्यांकन के लिए कुछ मापदंड निर्धारित किए हैं और वित्त आयोग इनकी आशाओं पर खरा उतरने का हर संभव प्रयास करेगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डा. राजीव कुमार ने भी अपने विचार रखे।

असम को छोड़ 10 राज्यों ने लिया भाग

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य नदियों, ग्लेशियरों, झीलों और जल स्त्रोतों का संरक्षण है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड कोंगकल संगमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री निफयु रियो, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री चौना मेंन, मिजोरम के कानून व पर्यावरण मंत्री टी.जे. लालनुंतलुंगा, सिक्किम के मुख्यमंत्री के मुख्य आॢथक सलाहकर महेंद्र पी. लामा, त्रिपुरा के मंत्री लै. जनरल मनोज कांत देव ने भी अपने विचार सांझा किए। आसाम को छोड़ अन्य 10 हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्री और उनके प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया।

Vijay