कभी इस झील में होती थीं नौकायन क्रीड़ाएं : चोफला

punjabkesari.in Monday, Sep 13, 2021 - 04:20 PM (IST)

चम्बा (सुभाष): प्रकृति द्वारा बख्शी हुई नेमतें तब तक सुरक्षित रह पाती हैं जब तक वह मानवीय पहुंच से दूर रहें। फिर वे चाहे नदियां हों, झरने हों, झीलें हों या हसीन वादियां। विकास के साथ-साथ उनका प्राकृतिक स्वरूप विलुप्त होना भी प्रारंभ हो जाता है। ऐसा ही खजियार झील के साथ हुआ है। राष्ट्रपति से पुरस्कृत समाजसेवी व पर्यावरणविद् नवनीत चोफला ने बताया कि 1960 के दशक में खजियार झील का पानी बिल्कुल स्वच्छ, निर्मल और शांत हुआ करता था। यहां नौकायन क्रीड़ाएं होती थीं। झील से उठ रही लहरें मानो हवाओं के साथ नाच रही हों। कालांतर में यह सब कल्पना मात्र और दिवास्वप्न बनकर रह गया है। वर्तमान में झील का पानी तो कहीं दिखाई ही नहीं देता। अगर कुछ दिखाई देता है तो गाद और उस पर उगी हुई जंगली घास व झाडिय़ां। झील का वास्तविक स्वरूप व शानदार नजारा विलुप्त होने की कगार पर है। इसके लिए नेतृत्व, शासन व प्रशासन सहित वह सभी लोग जिम्मेदार हैं जो खजियार के तथाकथित विकास के साथ-साथ झील में लगातार गाद भरने को भी मूकदर्शक बनकर देखते रहे। उन्होंने कहा कि खजियार के संरक्षण के लिए दोनों ओर के मोटर मार्ग को 2 किलोमीटर पहले ही वाहनों के प्रवेश के लिए बंद कर देना चाहिए। पर्यटक वहीं गाडिय़ां खड़ी कर प्राकृतिक नजारों को निहारते हुए धीमी-धीमी गति से पैदल ही खजियार की ओर आगे बढ़े।

जो पैदल न चल सकते हों उनके लिए विद्युत गोल्फ गाडिय़ों का प्रबंध किया जाए। टाइम स्लॉट के आधार पर भ्रमणकारियों को प्रवेश पास जारी किए जाएं, ताकि वह जरूरत से ज्यादा समय वहां जाया न करें और जितना भी समय वहां रहे उसके लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान करें। इससे जहां दोबारा हरियाली लौटेगी, वहीं सरकार को राजस्व की भी मिलेगा। लाऊड स्पीकर के माध्यम से बढ़ते हुए ध्वनि प्रदूषण पर पाबंदी लगनी चाहिए। कुफरी की तर्ज पर लघु चिडिय़ाघर एवं संग्रहालय की स्थापना भारी मात्रा में पर्यटकों का ध्यान आकॢषत कर सकती है। खाली स्थानों पर पौधारोपण सुनिश्चित किया जाए। नवनीत चोफला ने कहा कि अच्छी बात है कि सरकार मानवीय भूलों के कारण झील में एकत्रित गाद को साफ करने में 20 लाख रुपया खर्च कर रही है, लेकिन प्रस्तावित सुविधाएं भी अगर उपलब्ध करवाई जाती हैं तो वैश्विक मानचित्र पर स्थान बनाए खजियार की अलौकिक सुंदरता में चार चांद लग जाएंगे।


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Content Writer

Kuldeep

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