सैंटर विजीलैंस कमीशन के राडार पर ठेकेदारों की पेमैंट रोकने वाले अफसर

Thursday, Jan 31, 2019 - 11:25 AM (IST)

शिमला (हेटा): लोक निर्माण विभाग में ठेकेदारों की पेमैंट रोकने वाले अफसर सैंटर विजीलैंस कमीशन (केंद्रीय सतर्कता आयोग) के राडार पर आ गए हैं।केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सभी राज्यों से ऐसे अफसरों की सूची मांगी है। विजीलैंस को मिली शिकायतों के अनुसार कमीशनखोरी की आड़ में कुछ अफसर कई-कई साल बीत जाने के बाद भी ठेकेदार को उनकी पेमैंट का भुगतान नहीं करते हैं। इस वजह से भ्रष्टाचार की संभावना बनी रहती है। पी.डब्ल्यू.डी. की भी ठेकेदार को समय पर पेमैंट देने को लेकर उचित व्यवस्था नहीं है।

विभागीय अधिकारी छोटे-छोटे ऑब्जैक्शन लगाकर ठेकेदारों की पेमैंट रोक देते हैं। इससे ठेकेदार सालों तक दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं। ठेकेदारों द्वारा कुछ ऐसी ही शिकायतें विजीलैंस को गई हैं। विजीलैंस जांच में इन शिकायतों को सही पाया गया है। कुछ मामलों में तो ठेकेदारों की पेमैंट रोकने का कारण भी उल्लेखित नहीं किया गया है। इसे देखते हुए नैशनल रूरल इन्फ्रॉस्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट एजैंसी के निदेशक उत्तम कुमार ने केंद्रीय सतर्कता आयोग के निर्देशों पर हिमाचल सहित सभी राज्यों को इस पर अमल करने को बोल दिया है।

विजीलैंस ने ये आदेश खासकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पी.एम.जी.एस.वाई.) के तहत बन रही सड़कों की पेमैंट देने में हो रही देरी के बाद जारी किए हैं। विजीलैंस ने सभी राज्यों को रनिंग बिल का भुगतान 15 दिन के भीतर और फाइनल बिल का 30 दिनों में सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सालों से लटके हुए बिलों की जांच हायर स्तर पर करवाने तथा ऐसे मामलों की रिपोर्ट कमीशन को भेजने को कहा है। साथ ही विजीलैंस ने पेमैंट के भुगतान के लिए ऑनलाइन बिलिंग ट्रेकिंग सिस्टम डिवैल्प करने को कहा है।

अफसरों के खिलाफ खुलकर नहीं बोल पाते ठेकेदार

प्रदेश में भी समय-समय पर कुछ अफसरों पर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन ठेकेदार खुलकर विभागीय अधिकारियों के खिलाफ नहीं बोल पाते हैं। ऐसे में विजीलैंस के आदेशों पर राज्य सरकार को भी उचित कार्रवाई करनी होगी और निर्माण कार्य में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कमीशनखोरी बंद करनी होगी।

Ekta